कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 291 सीटों के लिए तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची शुक्रवार को जारी की. टिकटों के बंटवारे में युवाओं, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और पिछड़े समुदायों पर जोर दिया गया है. सूची में 114 नए चेहरों को जगह दी गई है. सूची जारी होने के साथ ही ममता ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी की पुष्टि की. पार्टी ने पांच मंत्रियों सहित 28 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है. हालांकि, इसके लिए उनकी बढ़ती उम्र और खराब सेहत का हवाला दिया गया है.
तृणमूल कांग्रेस के सहयोगी दल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बिमल गुरुंग गुट के उम्मीदवार दार्जिलिंग की शेष तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. नंदीग्राम सीट से अपनी उम्मीदवारी की पुष्टि करते हुए ममता ने कोलकाता में अपनी पारंपरिक भवानीपुर सीट के लिए शोभनदेव चट्टोपाध्याय पर भरोसा जताया है. राज्य चुनावों के लिए तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए ममता ने कहा, ‘‘मैं नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ूंगी, जबकि शोभनदेव चट्टोपाध्याय भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे.’’
9 मार्च को घोषणा पत्र
ममता ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम नौ मार्च को अपना घोषणा पत्र जारी करेंगे. 10 मार्च को मैं नंदीग्राम सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल करूंगी.’’ बनर्जी ने जनवरी में घोषणा की थी कि वह नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी. जब उनसे बीजेपी में शामिल हुए शुभेन्दु अधिकारी के नंदीग्राम में उनके खिलाफ उतरने की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
बता दें कि ममता बनर्जी पहली बार नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. इस सीट का प्रतिनिधित्व 2016 में शुभेन्दु अधिकारी ने किया था जबकि 2011 में तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य उम्मीदवार ने किया था. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस बार हमने युवाओं और महिला उम्मीदवारों पर जोर दिया है. सूची में 50 महिलाओं, 42 मुस्लिमों, 79 अनुसूचित जाति (एससी) और 17 अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के नाम हैं.’’
ममता बोलीं, सबसे आसान चुनाव
सीएम ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का दावा करते हुए इसे ‘‘सबसे आसान’’ चुनाव करार दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के बाद से पार्टी का यह सबसे कठिन चुनाव होने वाला है तो उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिए आसान चुनाव होगा. हम इसे जीतेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता में आने के बाद हम विधान परिषद का गठन कराएंगे ताकि वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को समायोजित किया जा सके. हम हर किसी को, विशेष रूप से 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को समायोजित नहीं कर सकते थे.’’
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