CAA Rules: 'असम की तरह बंगाल में नहीं देंगे डिटेंशन कैंप की इजाजत', सीएए को लेकर बोलीं ममता बनर्जी
Mamata Banerjee Remarks: सीएए को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक बार फिर प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने बताया कि वह क्यों सीएए का विरोध कर रही हैं.
Mamata Banerjee On CAA: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार (13 मार्च) को एक बार फिर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा है कि वह असम की तरह पश्चिम बंगाल में डिटेंशन कैंप की अनुमति नहीं देंगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ''सीएए एनआरसी से संबंधित है, इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं. हम असम की तरह डिटेंशन कैंप नहीं चाहते.''
क्या है डिटेंशन कैंप?
एचटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम सरकार ने 2009 में ट्रिब्यूनल की ओर से बाहरी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित किए जाने तक रखने के लिए डिटेंशन सेंटर अधिसूचित किए थे. डिटेंशन सेंटर जेलों के अंदर एक अस्थायी उपाय के रूप में बनाए गए. जब तक इन कैंप के लिए कोई स्थायी जगह नहीं मिलती तब तक ये जेलों में ही चलेंगे.
असम का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर मटिया ट्रांजिट कैंप है, जो पिछले साल जनवरी में चालू हुआ था. यह असम की राजधानी दिसपुर से करीब 130 किलोमीटर दूर गोलपाड़ा में 28,800 वर्ग फुट क्षेत्र में बनाया गया है.
ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लागू किए गए सीएए को राजनीतिक हथकंडा करार दिया है. उन्होंने सीएए के दायरे से मुसलमानों को बाहर रखने की आलोचना की है. उन्होंने यहां तक कहा है कि सीएए का उद्देश्य देश के लोगों को विभाजित करना है.
सभी शरणार्थियों को यहां स्थायी ठिकाना मिलेगा- ममता बनर्जी
सीएम ममता बनर्जी ने जलपाईगुड़ी में एक कार्यक्रम में कहा, ''हम जमींदार नहीं हैं, लेकिन सतर्क संरक्षक हैं. पश्चिम बंगाल से किसी को भी बाहर नहीं किया जाएगा, सभी शरणार्थियों को यहां स्थायी ठिकाना मिलेगा."
बीजेपी पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''बीजेपी की हिंदू धर्म की अवधारणा वेदों और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से भटकती है.''
CAA से इन लोगों को मिलेगा भारतीय नागरिकता
केंद्र सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को सीएए के तहत नियमों को अधिसूचित किया था. इसी के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता पाने का रास्ता खुल गया है. जिन गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, उनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं.
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