कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के मद्देनजर मौजूदा श्रम कानूनों को कभी नहीं बदलेगी. उन्होंने बीजेपी शासित कुछ राज्यों पर इस तरह के नियमों में बदलाव करके कामगारों की रोजगार सुरक्षा समाप्त करने का आरोप लगाया है.


बनर्जी ने कहा कि निकट भविष्य में कोविड-19 से कोई त्वरित राहत नहीं मिलने वाली और राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ग्रामीण बंगाल का बुनियादी ढांचा मजबूत करना जरूरी है.




उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसी खबरें मिली हैं कि कुछ बीजेपी शासित राज्यों ने या तो श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया है या उनमें बदलाव किया है. उन राज्यों में कर्मचारियों और श्रमिकों को अधिक काम करना होगा लेकिन पगार कम मिलेगी, उनकी रोजगार सुरक्षा नहीं रहेगी.’’


बनर्जी ने कोविड-19 के हालात पर वीडियो-कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम इसका समर्थन नहीं करते और इस तरह का कदम कभी नहीं उठाएंगे. हम मौजूदा श्रम कानूनों का पालन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को यहां रोजगार मिल सके. सरकार उन्हें 100 दिन की रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार दे सकती है.’’


उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने कोरोना वायरस प्रकोप के कारण प्रभावित हुए कारोबारों में फिर से जान डालने के मकसद से कुछ श्रम कानूनों को निलंबित करने की घोषणा की है. इसी की पृष्ठभूमि में बनर्जी का यह बयान आया है.


मुख्यमंत्री ने राज्य के कुछ बीजेपी नेताओं पर सांप्रदायिक संघर्ष भड़काने का आरोप लगाते हुए जिला प्रशासनों और पुलिस को दोषी पाये गये लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया.


उन्होंने पिछले सप्ताह हुगली जिले में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लॉकडाउन के बीच सांप्रदायिक संघर्ष में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’’


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