CM Mamata Banerjee Become Chancellor Of State Universities: पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की जगह सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को राज्य के स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने के लिए विधेयक पारित किया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यपाल की जगह पर राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों/स्वास्थ्य विश्वविद्यालयो का मुख्यमंत्री को चांसलर बनाने की मांग करते हुए एक विधेयक पेश किया था जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रस्तावित कानून को रोकने के लिए इसका भरपूर विरोध प्रदर्शन किया. 


विधेयक के पक्ष में 134 वोट पड़े जबकि 51 सदस्यों ने इसका विरोध किया. बीजेपी ने इस विधेयक का विरोध किया. पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 सीटें हैं. राज्य में स्वास्थ्य राज्य मंत्री चन्द्रीमा भट्टाचार्य ने विधेयक सदन में पेश किया. विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक मनोज टिग्गा और अन्य विधायकों अग्निमित्र पॉल, एम मणि अधिकारी, शंकर घोष और अंबिका रॉय ने विधेयक का विरोध किया, जबकि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के निर्मल माझी, मधुसूदन भट्टाचार्य, सप्तऋषि बनर्जी ने इसके पक्ष में दलीलें दीं.


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने दी क्या प्रतिक्रिया
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि विधानसभा में पारित विश्वविद्यालय विधेयक उनके समक्ष रखा जाएगा, तो वह इस पर बिना किसी ‘भेदभाव या पूर्वाग्रह’ के विचार करेंगे. उन्होंने राजभवन में मीडिया से कहा कि वह कानून के मुताबिक कार्रवाई करेंगे.


समवर्ती सूची में संघ और राज्यों दोनों के समान हित के विषय शामिल हैं. इस सूची में शामिल विषयों पर संसद और राज्य विधायिका दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन एक ही विषय से संबंधित संघ और राज्य के कानून के बीच संघर्ष की स्थिति में, संघीय कानून राज्य के कानून पर हावी होता है. इसमें शिक्षा जैसा विषय शामिल हैं.


राज्य सरकार और राज्यपाल में चल रही थी खींचतान
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल कैबिनेट (West Bengal Cabinet) ने बीती 6 जून को राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की जगह सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को सोमवार को अपनी मंजूरी दी थी. विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच चल रही खींचतान के बाद ये कदम उठाया गया है. खबरों के मुताबिक, राज्यपाल धनखड़ ने पहले ये आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने उनकी सहमति के बिना कई कुलपति नियुक्त किए हैं. 


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