CM Mamta Meets PM Modi after Conference: दिल्ली में 30 अप्रैल को हुई प्रधानमंत्री- मुख्यमंत्रियों और न्यायाधीशों के सम्मेलन के खत्म होने के बाद जब सम्मेलन में शामिल सभी लोग पीएम मोदी के साथ चाय पीने के लिए हाल में गए तो उस दौरान पीएम मोदी के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करीब 5 मिनट तक मुलाकात हुई. इस दौरान सीजेआई रमना भी मौजूद रहे. जब उनकी आपस मे बात हो रही थी तो बाकी लोग उनसे अलग थे, यानी इस दौरान वो अन्य मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस से दूर थे.


इसके पहले पीएम मोदी ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन संबोधित करते हुए कहा, 'हमारे देश में जहां एक ओर जूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्ट्रचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा.'


जूडिशरी में हो डिजिटल सिस्टमः पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, भारत सरकार भी जूडिशल सिस्टम में टेक्नोलॉजी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है. उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांजेक्शन आम बात होने लगी है. पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं. 


2015 में ही हमने 1450 अप्रासंगिक कानूनों को हटायाः पीएम
पीएम ने कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे. उन्होंने कहा कि, एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिह्नित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे. इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया. पर राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं. ऐसे कानूनों को हर हाल में खत्म करने की जरूरत है. 


हमें 'लक्ष्मण रेखा' नहीं भूलनी चाहिएः CJI
इसके पहले  इस संयुक्त सम्मेलन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण ने देश में लंबित मामलों समेत कई और मुद्दों पर अपनी बात रखी. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमें 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखना चाहिए, अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी. अगर नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं, अगर पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत की यातना समाप्त होती है, तो लोगों को अदालतों में जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी.


न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार पर जोर देने की जरूरतः CJI
चीफ जस्टिस एनवी रमण न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार की जरुरत पर भी जोर दिया. वर्तमान तदर्थ समिति से अधिक संगठित ढांचे की ओर बढ़ने का समय आ गया है. यह न्यायपालिका है जो अपनी जरूरतों को सबसे अच्छी तरह समझती है. न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने में एक अन्य महत्वपूर्ण कारक रिक्तियों को भरना है. हाईकोर्ट जजों के स्वीकृत 1104 पदों में से 388 रिक्तियां हैं. हमने 180 सिफारिशें की हैं लेकिन इनमें से 126 नियुक्तियां की गई हैं और मैं इसके लिए भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं. जब हम आखिरी बार 2016 में मिले थे, तो देश में न्यायिक अधिकारी की स्वीकृत शक्ति 20811 थी और अब इसकी 24112 है जो कि 6 वर्षों में 16% की वृद्धि है. 


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