Bengal CM On NMP: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार की उस राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन नीति (एनएमपी) पर सवाल उठाए हैं, जिसके जरिए करीब छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. ममता बनर्जी ने बुधवार को सरकार को आड़े हाथों लेते हुआ कहा कि यह मोदी या फिर बीजेपी की संपत्ति नहीं है. यह संपत्ति देश की है. बंगाल सीएम ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री देश की संपत्ति नहीं बेच सकते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है और मैं हैरान हूं. कई लोग इस फैसले के खिलाफ आचोलना में मेरा साथ देंगे ”
मोदी सरकार पर ममता का 'हल्लाबोल'
उन्होंने दावा किया कि यह देश की संपत्ति बेचने की साजिश है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने एनएमपी को 'चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला' करार देते हुए आरोप लगाया कि इन संपत्तियों को बेचने से मिले पैसों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ किया जाएगा.
ममता ने राज्य सचिवालय नबन्ना में पत्रकारों से कहा, "हम इस चौंकाने वाले और दुर्भाग्यपूर्ण फैसले की निंदा करते हैं. ये संपत्ति देश की हैं. ये न तो मोदी की संपत्ति हैं और न ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की. वे (केंद्र सरकार) अपनी मर्जी से देश की संपत्ति को नहीं बेच सकते." उन्होंने कहा कि पूरा देश इस "जनविरोधी" फैसले का विरोध करेगा और एक साथ खड़ा होगा. उन्होंने कहा, "भाजपा को शर्म आनी चाहिए. किसी ने उन्हें हमारे देश की संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं दिया है."
निर्मला ने किया एनएमपी का एलान
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की एनएमपी की घोषणा की थी. इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और संपत्तियों का विकास किया जायेगा.
राहुल का सरकार पर हमला
इधर, राहुल गांधी का राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को लेकर मोदी सरकार पर हमला जारी है. बुधवार को उन्होंने #IndiaOnSale के साथ ट्विटर पर लिखा, ''सबसे पहले ईमान बेचा और अब…'' इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को बेच रहे हैं.
राहुल गांधी ने कहा है कि इन संपत्तियों को बनाने में 70 साल लगे हैं और इनमें देश की जनता का लाखों करोड़ों रुपये लगे हैं. अब इन्हें तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है. राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ हम निजीकरण के खिलाफ नहीं है. हमारे समय निजीकरण विवेकपूर्ण था. उस समय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों का निजीकरण नहीं किया जाता था. जिन उद्योगों में बहुत नुकसान होता था, उसका हम निजीकरण करते थे.’’
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