पंजाब (Punjab) में मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose wala) की हत्या के बाद घटना से पहले सुरक्षा हटाने को लेकर राज्य की भगवंत मान (Bhagwant Mann) सरकार आलोचनाओं का सामना कर रही है. इस विवाद के बीच मुख्यमंत्री भगवत मान आज स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में माथा टेकने जाएंगे. अपने अमृतसर दौरे पर सीएम भगवंत मान अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) से मुलाकात कर सकते हैं. ये मुलाकात ऐसे वक्त होगीस जब सुरक्षा हटाने को लेकर मान सरकार और अकाल तख़्त के जत्थेदार के बीच विवाद चल रहा है. 


हरप्रीत सिंह ने ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा भी ठुकराई


दरअसल मूसेवाला की हत्या से एक दिन पहले आम आदमी पार्टी सरकार ने सिद्धू मूसेवाला और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह समेत 423 लोगों की सुरक्षा घटा दी थी. जिसके बाद ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मान सरकार पर निशाना भी साधा था. हालांकि विवादों के बाद मान सरकार ने सभी लोगों की सुरक्षा फिर से बहाल करने की घोषणा की थी. बड़ी बात यह है कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान किए जाने की पेशकश को भी ठुकरा दिया. हरप्रीत सिंह ने कहा कि इससे सिख धर्म के प्रसार के लिए लोगों के साथ उनकी मुलाकात में बाधा आएगी. हालांकि, उन्होंने ने कहा, 'मैं केंद्र की भावनाओं का सम्मान करता हूं.'


मान सरकार ने जलील करने की कोशिश की- हरप्रीत सिंह


सुरक्षा को लेकर विवाद के बीच हरप्रीत सिंह ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा था, ''मान सरकार ने सुरक्षा वापस लेकर सोशल मीडिया पर जलील करने की कोशिश की. फ़ोर्स की ज़रूरत पड़ने पर गनमैन पहले भी जाते थे, लेकिन मीडिया में कभी नहीं आया. अब मुझे पंजाब पुलिस की सुरक्षा नहीं चाहिए . केंद्र ने Z सुरक्षा कवर भेजा है, लेकिन धर्म के प्रचार का काम इतने सुरक्षा घेरे में नहीं हो सकता.'' बताया जाता है कि हरप्रीत सिंह के इनकार के बावजूद पंजाब पुलिस और सीआईएसएफ का सुरक्षा कवर जत्थेदार के साथ है. ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा के तहत 16 से 20 सशस्त्र कमांडो पालियों में व्यक्ति के साथ 24 घंटे सुरक्षा में तैनात रहते हैं.


सिखों की सर्वोच्च संस्था है अकाल तख्त


बता दें कि अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च संस्था है और जत्थेदार इसके प्रमुख होते हैं. अकाल तख्त जत्थेदार उन 400 से ज्यादा लोगों में से एक हैं, जिनकी सुरक्षा पंजाब में आप सरकार द्वारा वापस ले ली गई थी, हालांकि बाद में उनकी सुरक्षा बहाल कर दी गई, लेकिन जत्थेदार ने फिर से राज्य सरकार की सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया.


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