भोपाल: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से चीनी सामान बहिष्कार करने की अपील की है. मुख्यमंत्री ने कहा,'प्रदेशवासियों से मेरी अपील है कि चीन में बने हुए सभी सामानों का बहिष्कार करें. स्वदेशी अपनाएं चीनी सामान का बहिष्कार करें. हमारी सेना भी चीन को जवाब देगी.'
देशभर में चीन सरकार के विरोध में विरोध प्रदर्शन
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ की झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत में चीन विरोधी भावना प्रबल होने लगी है. देश में जगह-जगह चीनी सामान के बहिष्कार और चीन सरकार के विरोध में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. देशभर के साधु-संत भी अपने अनुयायियों से चीन के सामान का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं.
साधु-संतों की सबसे बड़ी कमिटि अखिल भारतीय संत समिति ने देशभर के संतों से, मंदिरों के महंतों से और सभी महामंडलेश्वर से अपील की है कि वे गांव-गांव जाकर चीनी सामान के बहिष्कार की अलख जगाएं. साथ ही संत समिति ने संतों से यह भी अपील की है कि वे भक्तों को निर्देश दें कि वह चीन के सामान का बहिष्कार करें और अपने प्रवचनों में लोगों को यह भी बताएं कि चीनी समानों का बहिष्कार आखिर क्यों जरूरी है.
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी समान का बहिष्कार का करने के लिए हमें सतर्कता बरतनी पड़ेगी, नहीं तो अंततः फायदा चीन को ही होगा और भारत को दोहरा नुकसान झेलना पड़ेगा. भारत-चीन व्यापार के आर्थिक विश्लेषक पंकज जैसवाल के मुताबिक, "चीनी सामान के बहिष्कार को दो हिस्सों में बांटना पड़ेगा. एक जो हमने चीन को सौ फीसदी पेमेंट कर लिया है और भारत के बाजार में वह माल पड़ा है. उस माल को हम फेंके जलाएं या खरीदें, उससे चीन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. उसे उस माल का पूरा भुगतान मिल चुका है. वह बॉर्डर उस पार से यही देखकर मुस्कुराएगा की भारतीय अपनी पूंजी में आग लगा रहे हैं. इसलिए जो माल सौ फीसदी पेमेंट के बाद भारत आ चुका है, उसके बहिष्कार का कोई मतलब नहीं. वह अपनी पूंजी में ही आग लगाना है."
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