Ram Mandir Inauguration: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कहा कि बीजेपी ने एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया है. मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर धार्मिक कार्यक्रम को पार्टी कार्यक्रम में बदलने का आरोप लगाया, जिससे 140 करोड़ भारतीयों का अपमान हुआ.


उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के बयान की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि राम मंदिर पर शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है. सिद्धारमैया ने कहा कि चार शंकराचार्यों ने ‘‘राजनीति के लिए राम मंदिर के दुरुपयोग के विरोध में" मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार किया है.


सिद्धारमैया ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, हमारी पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे. उनका फैसला सही है. मैं इस फैसले का समर्थन करता हूं.’’


'हिंदुओं के साथ विश्वासघात है'


सिद्धारमैया ने पीएम मोदी और संघ परिवार के नेताओं पर धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण करके भगवान राम और देश के 140 करोड़ लोगों का ‘अपमान’ करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सभी हिंदुओं के साथ विश्वासघात है कि एक धार्मिक कार्यक्रम, जिसे भक्तिभाव से आयोजित किया जाना चाहिए था, उसे राजनीतिक प्रचार में बदल दिया गया है.


मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि कांग्रेस पार्टी राम जन्मभूमि विवाद शुरू होने के दिन से ही अपने रुख पर कायम है. राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धारमैया ने कहा, ‘‘इससे विवाद खड़ा हो गया है. अगर यह सच है तो यह सभी शैव लोगों का अपमान है.’’


उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में 10 साल पूरा करने जा रहे प्रधानमंत्री को मतदाताओं के सामने अपनी उपलब्धियां बताकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं है. सिद्धारमैया ने कहा कि इसी कारण से, लोकसभा चुनाव से पहले वह जल्दबाजी में राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं, जिसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने हिंदुत्व लहर पैदा करने का प्रयास करके अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश की है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनता बीजेपी और संघ परिवार की राजनीति को गंभीरता से देख रही है और कभी भी उनके जाल में नहीं फंसेगी. उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने ईंट के नाम पर एकत्र किए गए दान का हिसाब मांगना शुरू कर दिया है.’’


'हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं'


सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं है. उनकी पार्टी छुआछूत, जातिवाद, कट्टरता और धर्म के नाम पर भ्रष्टाचार के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, पार्टी राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल करने के भी पूरी तरह से खिलाफ है.


उन्होंने कहा, ‘‘हमें हिंदू धर्म से कोई समस्या नहीं है, जिसका पालन महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, कनकदास, नारायण गुरु, कुवेम्पु सहित देश के कई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया, लेकिन हम बीजेपी और संघ परिवार के पाखंडी हिंदुत्व का विरोध करना जारी रखे हैं, जो राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं.’’


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