सामना को दिए इंटरव्यू में बीजेपी पर बरसे सीएम उद्धव ठाकरे, विपक्ष को दिया चैलेंज
सामना के कार्यकारी संपादक व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का इंटरव्यू लिया है जिसे दैनिक सामना में प्रकाशित किया गया है. इस खास रिपोर्ट में पढ़ें उसके कुछ अंश...
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक मीडिया से मुखातिब नहीं हुए हैं. पर अब उन्होंने अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना को एक इंटरव्यू दिया है. यह इंटरव्यू सामना के संपादक और शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय रावत ने लिया है जिसमें उद्धव ठाकरे ने अपने पुराने साथी भाजपा को खूब खरी-खरी सुनाई है साथ ही राम मंदिर के भूमि पूजन में जाने की भी इच्छा जताई है.
उद्धव ठाकरे ने खुली चुनौती दी, सरकार गिरा कर दिखाओ
महाराष्ट्र में सरकार गिरने के तमाम दावों के बीच उद्धव ठाकरे ने खुली चुनौती दी है कि सरकार गिरा कर दिखाओ. उन्होंने कहा कि अभी गिराओ इंटरव्यू के बीच ही गिरा कर दिखाओ, जरूर गिराओ. सामने वालों को गिराने पटकने में मजा आता है, कुछ को बिगाड़ने में मजा आता है कुछ को बनाने में.
कुछ लोग कहते हैं कि अगस्त-सितंबर में सरकार गिराएंगे. मेरा कहना है कि इंतजार किस बात का करते हो, अभी गिराओ. मेरा साक्षात्कार चलने के दौरान सरकार गिराओ. मैं क्या फेविकॉल लगाकर नहीं बैठा हूं. गिराना होगा तो गिराओ. अवश्य गिराओ. आप को गिराने-पटकने में आनंद मिलता है ना. कुछ लोगों को बनाने में आनंद मिलता है. कुछ लोगों को बिगाड़ने में आनंद मिलता है. बिगाड़ने में होगा तो बिगाड़ो. मुझे परवाह नहीं है. गिराओ सरकार.
शिवसेना, बीजेपी आज महाराष्ट्र में एक-दूसरे के आमने-सामने कभी एनडीए की गठबंधन का साथी रहे शिवसेना, बीजेपी आज महाराष्ट्र में एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार की बागडोर शिवसेना ने संभाली हुई है. आज शिवसेना और बीजेपी आमने-सामने हैं एक दूसरे के खिलाफ हैं पर जब राम मंदिर की बात आई है तो फिर यह राजनीतिक प्रतिद्वंदी राम के नाम पर एक सुर में आ गए हैं.
एक ओर जहां महाराष्ट्र में शरद पवार से लेकर कांग्रेस के तमाम नेता राम मंदिर की वजह कोरोना वायरस को प्राथमिकता देने की बात कह रहे हैं. वहीं उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर को लेकर कहा है कि हर ओर कोरोना का हाहाकार है. मैं ठीक हूं, मैं अयोध्या जाऊंगा ही. मुख्यमंत्री हूं लेकिन जब मुख्यमंत्री नहीं था तभी वहां मान सम्मान मिला था. उद्धव ठाकरे शिवसेना प्रमुख का बेटा होने की हैसियत से पुण्य प्रताप मेरे पास है. अब मुख्यमंत्री हूं. सुरक्षा मिलेगी जाऊंगा पूजा अर्चना करके उस कार्यक्रम का हिस्सा भागी होकर वापस आऊंगा. यह मंदिर आम मंदिर नहीं है.
राजस्थान द्वंद पर कहा- कहा भाजपा के लोकतंत्र की यही व्यवस्था है राजस्थान में चल रहे राजनीतिक द्वंद को लेकर कहा भाजपा के लोकतंत्र की यही व्यवस्था है. लोकतंत्र का मजाक शिवसेना प्रमुख को स्वीकार नहीं था. इसलिए वे कहते थे, यह आपका ऐसा बदहाल लोकतंत्र है. ये मुझे स्वीकार नहीं है.
बुलेट ट्रेन को लेकर कही ये बात भाजपा की बुलेट ट्रेन को लेकर कहा कि बुलेट ट्रेन चलानी है तो महाराष्ट्र में नागपुर, मुंबई के इलाकों में चलाएं उसमें खुशी होगी ना कि अभी जो प्रारूप तैयार है. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण करते समय जिन्होंने विरोध किया है उनके पीछे शिवसेना पार्टी के रूप में मजबूती से खड़ी है. मुंबई-नागपुर को जोड़नेवाली बुलेट ट्रेन दो. मेरी राजधानी और उपराजधानी को जोड़नेवाली ट्रेन दो. जिसके कारण विदर्भ के मन में कारण न होते हुए भी जो दूरी बनाने का प्रयास किया जा रहा है, वह दूरी नष्ट होगी. जैसे समृद्धि महामार्ग बन रहा है, उसे अब शिवसेनाप्रमुख का नाम दिया है. उसी तरह मुंबई-नागपुर को जोड़नेवाली बुलेट ट्रेन दो. मुझे खुशी होगी.
उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार के परफॉर्मेंस पर पीठ थपथपाते थपथपाते नोटबंदी के पुराने फैसले पर भी सवाल खड़ा किया. वर्तमान सरकार को लेकर यह चर्चा रहती है कि उद्धव ठाकरे शरद पवार के नजदीकी हैं और कांग्रेस बहुत उत्साहित नहीं है के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने साफ किया कि शरद पवार से संपर्क में रहते हैं और बीच-बीच में सोनिया गांधी से भी फोन पर बात करते रहते हैं.
एमओयू कितना विश्वास रखते हैं आप?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि इससे पहले की सरकार में भी उद्योगमंत्री हमारे ही थे. उस समय भी ऐसे ही एमओयू हुए थे, लेकिन उनमें से कोई निवेश यहां आया नहीं. एक बात ध्यान में रखें, सिर्फ अकेला उद्योगमंत्री आपका होने से नहीं चलता. सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है और उस समय मैंने पहले उल्लेख किया. वैसे ये निवेश के करार होने के दौरान नोटबंदी आ गई. एक प्रकार की अनिश्चितता बन गई. ऐसी नीतियों की अनिश्चितता हो तो निवेश आएगा नहीं.
हालांकि जहां लॉकडाउन नहीं, वहां फिर से कोरोना का दुष्प्रभाव पाया गया तो न चाहते हुए भी दोबारा लॉकडाउन करने का निर्णय लेना पड़ेगा. अर्थात यह अस्थायी विकल्प है. इसलिए सब कुछ समाप्त हुआ ऐसा समझने की जरूरत नहीं. मैं बिल्कुल निराशावादी नहीं और मैं किसी को निराशावादी होने नहीं दूंगा.
ये निर्भर होता है उन उन सरकार की नीतियों पर. केवल उत्सवप्रियता हो तो कुछ होगा नहीं. अब महाविकास आघाड़ी के साथी साथ हैं. वे सकारात्मक हैं. शरद पवार साहब हैं. कांग्रेस की सोनिया जी हैं. इसके अलावा कांग्रेस के अन्य नेता लोग भी हैं. इन सभी के साथ तीनों दलों के अनुभवों से जो समझदारी आई है.
चीन के बहाने पीएम मोदी पर साधा निशाना चीन के मामले में बोला की वीडियो कांफ्रेंस में ही प्रधानमंत्री से राष्ट्र के लिए एक चीन के विरोधी नियम कायदे बनाने की बात की. नियमों में बार-बार बदलाव का विरोध जताया. प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी, तब उसमें मैंने पूछा था कि आप देश की एक नीति तय करो. मेरी आज भी यह अग्रणी मांग है. आप चीन के संदर्भ में एक बार तय करो, वस्तु तो छोड़ो ही, पर उद्योग धंधे हमें लाना है कि नहीं लाना है. ये देश की नीति होनी चाहिए. राष्ट्रभक्ति यह सभी देशों की एक जैसी होनी चाहिए. मेरी है. हमने ये सभी करार होल्ड पर रखे हैं. नहीं चाहिए तो वापस भेज देंगे, लेकिन कल आप ‘हिंदी-चीनी भाई भाई’ कहकर चीन के प्रधानमंत्री को घुमाओगे तो यह मौका हम गंवाए क्यों? और गंवाना है तो एक बार दिशा तय करो, हम आगे बढ़ें.
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