मुंबई: शिवसेना ने ऐलान किया है कि महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरे होने पर उद्धव ठाकरे अयोध्या रामलला के दर्शन करने जाएंगे. माना जा रहा है की राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस की ओर से भगवा राजनीति में कदम रखने से चिंतित शिवसेना अपनी हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि को बरकरार रखने के लिए ऐसा कर रही है. सीएम उद्धव ठाकरे अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने के बाद आगे के कार्यकाल सुनिश्चित करेंगे.


अयोध्या जाएंगे उद्धव ठाकरे


शिवसेना के सांसद और सामना के संपादक संजय राउत ने बुधवार को एक ट्वीट करके कहा, भगवान राम की कृपा से महाराष्ट्र सरकार जोरदार तरीके से काम कर रही है. सरकार के 100 दिन पूरे होते ही उद्धव ठाकरे अयोध्या जाएंगे. अयोध्या में भगवान राम का आशीर्वाद लेकर सरकार के आगे का कामकाज सुनिश्चित करेंगे. राउत ने कहा कि वे चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सरकार के साथ शामिल शिवसेना की सहयोगी पार्टियां जैसे कांग्रेस और एनसीपी भी अयोध्या साथ चलें. राहुल गांधी भी मंदिरों में जाते हैं.


हिंदुत्व को लेकर नरम पड़ी थी शिवसेना


दरअसल शिवसेना को राम की याद दिलाई है राज ठाकरे ने. महाराष्ट्र में जब शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो हिंदुत्व के मुद्दे पर उसे नरम होना पड़ा. जब सरकार बनाने की बातचीत चल रही थी तो उस दौरान माना जाता है कि 24 नवंबर 2019 को होने जा रहा उद्धव ठाकरे का आयोध्या दौरा शरद पवार की सलाह पर रद्द कर दिया गया. उस वक्त अगर शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे को आक्रमक तौर पर पेश करती तो कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए साथ ले पाना मुश्किल हो जाता. ऐसे में उद्धव ठाकरे ने अयोध्या ना जाने में ही भलाई समझी थी.


इसके अलावा सरकार चलाने के लिए तीनों पार्टियों का जो संयुक्त कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया गया था. उसकी प्रस्तावना में भी दो बार सेक्यूलर शब्द का इस्तेमाल किया गया. इससे सियासी गलियारों में यही संदेश गया की, बीते तीन दशकों से हिंदुत्व की राजनीति करती आई शिवसेना अब इस मुद्दे को लेकर नरम पड़ गई है. हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर ही बीजेपी के साथ उसका गठबंधन चल रहा था जो कि टूट गया.


राज ठाकरे की पार्टी भुनाना चाह रही मौका?


हिंदुत्व को लेकर शिवसेना के नरम रुख में राज ठाकरे को एक मौका नजर आया. राज ठाकरे अपनी पार्टी का अस्तित्व बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव और 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ एक सिटी मिल पाई थी. इसके अलावा नाशिक महानगर पालिका भी उनके हाथ से चली गई. मुंबई महानगर पालिका में राज के सात पार्षद चुनकर आए थे. उनमें से भी छह पार्षद शिवसेना में चले गए. ऐसी हालत में राज ठाकरे को लग रहा था कि मराठी का मुद्दा जिसने साल 2009 के चुनाव में उन्हें 13 सीटें जिता कर सफलता दिलाई थी, वो अब प्रासंगिक नहीं रह गया है. पार्टी को जिंदा रखने के लिए एक नए मुद्दे की जरूरत है. ये मुद्दा उन्हें हिंदुत्व में नजर आ रहा है. शिवसेना के विकल्प के तौर पर अब राज ठाकरे अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को पेश करने जा रहे हैं.


अपनी पार्टी के नए रंग रूप का ऐलान करने के लिए राज ठाकरे ने मुंबई के गोरेगांव इलाके में नेस्को ग्राउंड पर एक कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया है. इस कार्यकर्ता सम्मेलन में ठाकरे अपनी पार्टी का नया झंडा जारी करेंगे. नया झंडा पूरी तरह से भगवा रंग का होगा. इसी सम्मेलन में राज ठाकरे अपनी पार्टी की नई दिशा और रणनीति का भी ऐलान करेंगे.


बीजेपी ने ली चुटकी


राज ठाकरे के इन्हीं इरादों को भांपकर शिवसेना चिंतित है. इसीलिए दुनिया को ये जताने के लिए कि वो अभी भी हिंदुत्व के मुद्दे से अलग नहीं हुई है उद्धव ठाकरे का अयोध्या द्वारा आयोजित किया जा रहा है. हालांकि इस पर कांग्रेस ने कोई खास विरोध नहीं किया है. कांग्रेस का कहना है कि राजीव गांधी भी चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने लेकिन मंदिर में जाना कोई राजनीति का विषय नहीं हो सकता. उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे पर बीजेपी ने चुटकी लेते हुए कहा, वे तो ढाई महीने पहले अयोध्या जाने वाले थे लेकिन अब इसलिए जा रहे हैं क्योंकि शिवसेना की बदनामी हो रही है कि सत्ता के मोह के कारण उसने हिंदुत्व छोड़ दिया.


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