नई दिल्लीः साल 1999 में झारखंड के कोयला ब्लॉक आवंटित करने में अनियमितता से जुड़े एक मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को तीन साल की सजा सुनाई गई थी. वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने दिलीप रे की जेल की सजा को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने भी सीबीआई को नोटिस जारी कर दिलीप रे की सजा के खिलाफ अपील पर प्रतिक्रिया मांगी है.
अदालत ने मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की अपील को स्वीकार कर लिया और मामले को 25 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पूर्व राज्य मंत्री (कोयला) दिलीप रे को पिछले महीने कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराया गया था.
मामले में सीबीआई ने दिलीप रे और दो अन्य दोषियों के खिलाफ आजीवन कारावास की मांग की थी. इसके पीछे CBI ने तर्क दिया कि समाज को अच्छा संदेश देने के लिए अधिकतम सजा दी जानी चाहिए. वहीं सजायाफ्ता व्यक्तियों ने अदालत से आग्रह किया कि वे उनके बुढ़ापे को देखते हुए उन पर दया करें और उदारता से विचार करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले कभी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है.
दिलीप रे के अलावा अदालत ने उस समय मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों - प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्या नंद गौतम को भी तीन-तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. इस मामले में कास्टरन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (CTL) के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को भी इसी कारावास की सजा सुनाई गई थी.
हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए दोषियों को एक महीने के लिए जमानत दे दी थी.
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