नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और दो अन्य नौकरशाहों को बुधवार को तीन साल की सजा सुनाई. यह घोटाला केन्द्र की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के शासनकाल के दौरान हुआ था. अदालत ने जिन दो अन्य नौकरशाहों को सजा सुनाई उनमें के एस क्रोफा और के सी समरिया शामिल हैं. अदालत ने तीनों नौकरशाहों पर 50-50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है. सरकारी नौकरशाहों को बाद में वैधानिक जमानत प्रदान कर दी गई ताकि वे फैसले के खिलाफ ऊपर की अदालत में अपील दायर करें क्योंकि उनकी जेल की सजा तीन वर्ष थी.


समरिया के वकील ने इससे पहले अदालत को सूचित किया था कि दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और 30 नवम्बर को उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. तीन नौकरशाहों को सजा सुनाने के बाद अदालत ने कहा,‘‘इस तरह के अपराध आमतौर पर सामान्य अपराधों की तुलना में समाज के लिए अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि पहले तो इससे वित्तीय नुकसान बहुत अधिक होता है और दूसरी बात लोगों का मनोबल प्रभावित होता है.’’ विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दोषी ठहराये गये अन्य व्यक्तियों विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड (वीएमपीएल) के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरी आनंद मलिक को चार-चार साल जेल की सजा सुनाई. अदालत ने पाटनी पर 25 लाख रूपया और मलिक पर दो लाख रूपये का जुर्माना लगाया. उन्हें जमानत नहीं दी गई है.

अदालत ने विकास मेटल्स और पावर लिमिटेड कंपनी पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया. अपने 33 पेज के फैसले में अदालत ने दोषी व्यवसायियों के उस दावे से असहमति जताई कि चूंकि कोई कोयला नहीं निकाला गया था इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ और कहा कि पर्याप्त कच्चे माल की अनुपलब्धता के परिणामस्वरूप वास्तव में देश के बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास में कमी हुई है. यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक वीएमपीएल को आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में सितंबर 2012 में एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने दोषी ठहराये गये पांच व्यक्तियों के लिए अधिकतम सात साल की सजा और निजी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की थी.


इस अपराध में दोषियों को न्यूनतम एक साल और अधिकतम सात साल जेल की सजा हो सकती थी. अदालत ने 30 नवंबर को एच सी गुप्ता, कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव क्रोफा और मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-I) समरिया के साथ ही कंपनी, पाटनी और मलिक को भी दोषी ठहराया था. 31 दिसंबर 2005 से नवंबर 2008 तक कोयला सचिव रहने वाले गुप्ता को पहले ही कोयला ब्लॉक आवंटन के दो अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया था. इन मामलों में उन्हें दो और तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी. वह दोनों मामलों में जमानत पर हैं. क्रोफा दिसंबर 2017 में मेघालय के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुये हैं. उन्हें भी अन्य कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी ठहराया गया और दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी और वह जमानत पर हैं.


समरिया कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक थे और अल्पसंख्यक मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं. उन्हें पहले भी एक अन्य मामले मे दोषी ठहराया जा चुका है और इसमें दो साल की सजा हुई थी. इस समय वह जमानत पर हैं. आदेश सुनाये जाने के बाद अदालत के निर्देश पर सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार के लिए सभी को दोषी पाया गया. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि कोयला ब्लॉक आंवटन घोटाला में कथित अनियमितताओं के 12 मामलों में गुप्ता आरोपी हैं.


सीबीआई ने यूपीए-1 और यूपीए-2 के शासनकाल के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन के 40 मामलों में कथित अनियमतिताओं के सिलसिले में आरोपपत्र दायर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2014 को सभी कोयला घोटाले मामलों को विशेष रूप से निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीश के रूप में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पराशर की नियुक्ति की मंजूरी दी थी. विशेष अदालत ने अब तक ऐसे छह मामलों पर निर्णय दिया है.


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