जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सर्द हवाएं हुई तेज, द्रास में रात का तापमान -28.5 डिग्री दर्ज किया गया
ठंड के चलते श्रीनगर में डल झील के कुछ हिस्से जम गए हैं तो पहाड़ी नदी नालों में बरफ की मोटी परत बन गयी है. कई ईलाकों में पीने के पानी के पाइप भी जम गए हैं, इसीलिए लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए नए पाइप डाले जा रहे हैं
जम्मू-कश्मीर और लदाख में कड़ाके की ठंड ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. एक तरफ जहां नदी नालों में पानी जम गया है तो दूसरी तरफ पहाड़ी सड़कों पर बर्फ के जम जाने से आवाजाही प्रभावित हो गयी है. सर्दी के कठिन चालीस दिन चिल्ले कलां से पहले ही कांपा देने वाली ठंड ने जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. श्रीनगर में आज न्यूनतम तापमान -6 डिग्री पहुंच गया है तो कारगिल और द्रास में और भी ज्यादा बुरा हाल है. द्रास में पारा शून्य से 28.5 डिग्री नीचे चला गया है. करगिल में -17 डिग्री सेल्सियस तो लेह में -18.4 तक लुढ़क गया है.
ठंड के चलते श्रीनगर में डल झील के कुछ हिस्से जम गए हैं तो पहाड़ी नदी नालों में बरफ की मोटी परत बन गयी है. कई ईलाकों में पीने के पानी के पाइप भी जम गए हैं, इसीलिए लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए नए पाइप डाले जा रहे हैं. सर्दी के सबसे कठिन दौर चिल्ले कलां शुरू होने से पहले ही जम्मू-कश्मीर को ठंड ने कांपा दिया है. श्रीनगर में गुरुवाल को पारा -6.4 डिग्री पहुंच गया. वर्ष 2018 के बाद दिसंबर में पहली बार तापमान में इतनी गिरावट दर्ज की गई है. चिल्ले कलां से पहले पिछले 10 साल में इतनी कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इस बार न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.9 डिग्री नीचे चल रहा है.
सर्दी इतनी जायदा है कि गुलमर्ग के पास के इलाके दरंग में पहाड़ी झरना पूरी तरह जम गया है. करीब बीस फीट ऊंचे बर्फीले वॉटरफॉल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंच रहे हैं. गुलमर्ग में कई दिनों से पारा शून्य से 11 डिग्री नीचे रिकॉर्ड हो रहा है.
श्रीनगर की मशहूर डल झील समेत कश्मीर में कई जलस्रोत जमने शुरू हो गए हैं. जम्मू कश्मीर में 21 दिसंबर से चिल्ले कलां शुरू होगा. चालीस दिन के चिल्ले कलां में सबसे ज्यादा ठंड होती है. लेकिन इससे पहले ही घाटी समेत पूरे प्रदेश में खून जमा देने वाली ठंड पड़ रही है.
द्रास और करगिल में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड ने लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित किया है. यहां पर नदी नालों में पानी जमने के साथ साथ सड़को पर भारी बर्फ ने लोगों के लिए मुसीबत बढ़ा रखी है. ठंड इतनी ज्यादा है कि खाने के तेल से लेकर, जूस और दवाई भी बोतल में जम रही है.
ठंड के चलते डीजल से चलने वाली गाडिया बंद पड़ रही हैं और उनके अंदर डला डीजल टंकी में ही जम रहा है. गाड़िया स्टार्ट करने से पहले टैंक के नीचे स्टोव जलानी पड़ रही ही.
मौसम विभाग के अनुसार पिछले दस वर्ष की अवधि के दौरान दिसंबर में यह चौथा मौका है जब इतना कम तापमान रिकार्ड किया गया है. इससे पहले 21 दिसंबर 2016 और 30 दिसंबर 2019 को -6.5 और 25 दिसंबर 2018 को -7.7 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया था. उधर, लद्दाख के विभिन्न इलाकों में भी पारा शून्य से कई डिग्री नीचे चल रहा है.
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के निदेशक सोनम लोटस का कहना है कि आगामी दिनों में प्रदेश के तापमान में और गिरावट आएगी. दिसंबर के दौरान श्रीनगर में 1964 में न्यूनतम तापमान -12.8 रिकार्ड हुआ था. जम्मू में वर्ष 1998 में न्यूनतम तापमान 0.9 डिग्री दर्ज हो चुका है.
बर्फ बारी और ठंड के चलते सड़क संपर्क पर भी असर पड़ा है लेकिन कुछ सामरिक सड़कों को इस बार पूरे सर्दी के दिनों में खुला रखने की कोशिश हो रही है.