नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रदूषित हवा को साफ करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण स्तर में हो रही बढ़ोतरी को लेकर अपनी आंखें बंद करने को नहीं कहा जा सकता.


इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि हवा को साफ करने में प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनियों की बड़ी भूमिका है. इन कंपनियों को आम लोगों के हित को देखते हुए अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक होना चाहिए.


गौरतलब है कि न्यायालय ने 29 मार्च को देश में उन वाहनों की ब्रिकी व पंजीकरण पर एक अप्रैल से रोक लगा दी थी जो कि बीएस-4 उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करते. कोर्ट ने अब इस फैसले का ब्यौरा उपलब्ध कराया है.


न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि बीएस- चार मानक वाला इ’धन हवा में विशिष्ट तत्व को बीएस-3 वाहन इ’धन की तुलना में 80 प्रतिशत कम करता है.


न्यायालय ने फैसले में वायु प्रदूषण का ज्रिक करते हुए लिखा है- यह मानने का समय आ गया है कि हवा को साफ करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं. वाहन कंपनियों के तर्कों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा,‘ हमारे देश में हर व्यक्ति का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है और ऐसे कोई तर्क स्वीकार्य नहीं है जो कि जनता के स्वास्थ्य से समझौते की बात करता है.’