नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 5 वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम की आज बैठक हो सकती है. पिछले हफ्ते सरकार ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश दोबारा विचार के लिए वापस भेज दी थी. इसके मद्देनज़र ये बैठक बेहद अहम है. अगर कॉलेजियम जस्टिस जोसफ के नाम की फिर से सिफारिश करता है तो सरकार को इसे मानना होगा.
जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज ना बनाए जाने नाराज कुछ वकीलों ने जज नियुक्त होने वाली इंदु मल्होत्रा का शपथ ग्रहण रोकने की भी मांग भी की थी. हालांकि, कोर्ट ने इस मांग को 'विचार से परे' बताते हुए ठुकरा दिया.
इन पांच वजहों से केंद्र ने लौटाया जस्टिस केएम जोसेफ का नाम
3 महीने लंबित रही सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों की कॉलेजियम ने 11 जनवरी को जोसफ और इंदु मल्होत्रा के नाम की सिफारिश एक साथ भेजी थी. तीन महीने तक सिफारिश सरकार के पास लंबित रही. आखिरकार, सरकार ने सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दी. जोसफ का नाम दोबारा विचार के लिए कॉलेजियम के पास भेज दिया गया.
दोबारा सिफारिश पर जज बनाना अनिवार्य
मौजूदा नियमों के तहत सरकार एक बार कॉलेजियम की किसी सिफारिश को फिर से विचार के लिए लौटा सकती है. लेकिन अगर कॉलेजियम दोबारा उस नाम की सिफारिश कर देता है तो उसे जज बनाना सरकार के लिए अनिवार्य होता है.
कहां फंसा पेंच
अदालती गलियारों में आम चर्चा है कि केंद्र सरकार जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर सहज नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने ही 2016 में उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था. हालांकि, सरकार इससे इंकार कर रही है.
सरकार की दलील
सरकार ने के एम जोसेफ के नाम की सिफारिश कॉलेजियम के पास वापस भेजते हुए एक चिट्ठी लिखी है. सरकार ने नाम वापस भेजने की वजह बताते हुए कहा है:-
- हाई कोर्ट के जजों में वरिष्ठता सूची में जोसफ का नंबर 42वां हैं. उन्हें दरकिनार कर ये सिफारिश भेजी गई.
- इस समय 11 हाई कोर्ट चीफ जस्टिस उनसे वरिष्ठ हैं. उन्हें भी दरकिनार किया गया.
- केरल हाई कोर्ट से आने वाले एक जज पहले से सुप्रीम कोर्ट में हैं. कलकत्ता, राजस्थान, गुजरात, झारखंड जैसे कई हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में कोई जज नहीं.
- मूल रूप से केरल हाई कोर्ट के जज रहे कई लोग देश भर में कई जज हैं. अभी 4 हाई कोर्ट चीफ जस्टिस हैं, जो केरल से हैं.
- सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल कोई भी अनुसूचित जाति/जनजाति का जज नहीं.