Collegium System Row: जजों की नियुक्ति के मसले पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में लगातार तनातनी बनी हुई है. जहां एक तरफ सरकार कोलेजियम की ज्यादातर सिफारिशों को ठुकरा रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट इस पर चिंता जता चुका है. इसी बीच अब कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कोलेजियम सिस्टम को लेकर बड़ा बयान दिया है. केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति का नया सिस्टम नहीं बनेगा ये मसला हल नहीं हो सकता है. उन्होंने जजों के लंबित पड़े पदों को लेकर भी चिंता जताई. 


कांग्रेस सांसद की तरफ से पूछा गया सवाल
दरअसल राज्यसभा में कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला की तरफ से सरकार से सवाल किया गया कि कोलेजियम सिस्टम को लेकर जो झगड़ा चल रहा है वो आखिर क्यों है? शुक्ला ने कहा, इस समय करीब 5 करोड़ केस कोर्ट में लंबित हैं, इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? कोर्ट कहती है कि सरकार नियुक्ति नहीं कर रही है, तमाम पद खाली पड़े हैं. सरकार कहती है कि जो कोलेजियम सिस्टम है वो एनजेएसी के पुराने प्रपोजल की तरह होना चाहिए. जिसमें सब लोगों के साथ मिल जुलकर जजों की नियुक्ति हो. लंबित पड़े मामलों को खत्म करने के लिए सरकार क्या करना चाहती है?


कानून मंत्री रिजिजू ने दिया ये जवाब
इस पर जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, इस पर सदन और पूरे देश को चिंता करने की जरूरत है. मुझे भी ये बताते हुए चिंता होती है कि हमारे देश में इस वक्त लंबित पड़े केस 5 करोड़ का आंकड़ा छूने वाले हैं. आप समझ सकते हैं कि इसका आम लोगों पर कितना असर होता होगा. इसका मूल कारण जजों की नियुक्ति और खाली वेकेंसी है. 


कोलेजियम सिस्टम में बदलाव की कही बात
कोलेजियम सिस्टम में बदलाव को लेकर कानून मंत्री ने कहा, साल 2015 में लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर सर्वसम्मति से नेशनल जुडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन को पारित किया था. साथ ही तो तिहाई राज्यों ने भी इस पर सहमति जताई. हमारा देश संविधान से चलता है और लोगों की भावनाओं से चलता है. सरकार की तरफ से लंबित मामलों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. मैं ये कहना चाहता हूं कि इस वक्त सरकार के पास सीमित अधिकार हैं, जो कोलेजियम नाम तय करके भेजते हैं उसी पर फैसला लेना होता है. हमारे पास ये अधिकार नहीं है कि जजों की नियुक्ति के लिए हम नए नाम दें. हम बार-बार हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को कहते हैं कि जजों की वेकेंसी को भरने के लिए तुरंत नाम भेजा जाए. जो नाम भेजे जाएं उनमें विविधता हो. 


'देश की भावना के मुताबिक नहीं हो रहा काम'
कानून मंत्री रिजिजू ने कोर्ट को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि कहीं न कहीं मुझे लगता है कि हमारे सदन की भावना और देश की जनता के मुताबिक काम नहीं हो रहा है. मैं कोर्ट के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं क्योंकि कभी-कभी लगता है कि जो अधिकार कोर्ट को दिए गए हैं उसमें सरकार हस्तक्षेप कर रही है, लेकिन अगर आप संविधान का प्रावधान देखेंगे तो नियुक्ति का अधिकार सरकार का ही था. सरकार पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन जब तक नियुक्ति को लेकर नई व्यवस्था खड़ी नहीं करेंगे तब तक जजों की वेकेंसी और नियुक्ति का सवाल उठता रहेगा. देश की भावना के मुताबिक व्यवस्था नहीं बनी है. 


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