(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
विशेष: वो लौटेंगे नहीं लेकिन याद बहुत आएंगे, कर्नल आशुतोष शर्मा आपकी इस दास्तां को सैल्यूट
दुश्मनों से लोहा लेते-लेते कर्नल आशुतोष शर्मा शहीद हो गए. उनकी बहादुरी के किस्से हर किसी की जुबां पर है. उनके लिए 7 साल की बेटी तमन्ना कर्नल की पूरी दुनिया थी.
गिरा कि गर्व देश का तना रहे, मरा कि मान देश का बना रहे
ये पंक्ति महज पंक्ति नहीं बल्कि वो जज्बा है जो सेना का हर जवान अपने दिल में लेकर चलता है. उसके लिए देश की रक्षा से बड़ी कोई चीज नहीं और इसी कारण वह भारत भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण भी दाव पर लगा देता है. ऐसे ही भारत मां के सच्चे सपूत थे कर्नल आशुतोष शर्मा जिनकी जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का सामना करते हुए शहादत हुई. दरअसल उत्तरी कश्मीर में शनिवार देर रात आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद होने वाले पांच सुरक्षाकर्मियों में कर्नल शर्मा भी शामिल थे. कर्नल शर्मा आतंकवाद विरोधी अभियान में शहीद होने वाले 21 राष्ट्रीय राइफल्स के दूसरे ‘कमांडिग अफसर’ (सीओ) हैं.
सेना में जाना एकमात्र सपना था कर्नल आशुतोष का
कर्नल आशुतोष ने बहुत पहले ठान लिया था कि उनको किसी भी हाल में देश की सेवा करनी है. उनके हौसले की जानकारी आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सेना में 12 बार चयन न होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 13वीं बार में उनका चयन हो गया.
कर्नल शर्मा को याद करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष ने कहा कि चाहे जितनी मुश्किलें आएं वह उस चीज को हासिल करता था जिसके लिए ठान लेता था. जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा, कर्नल आषुतोष के लिए हर बात इस पार या उस पार की बात होती थी. उसका एक मात्र सपना सेना में जाना था और कुछ भी नहीं.
परिवार से कहा करते थे - मुझे कुछ नहीं होगा
कर्नल आशुतोष हमेशा न सिर्फ अपनी हिम्मत बनाए रखते थे बल्कि अपने परिवार को भी विश्वास दिलाते रहे कि उनको कभी कुछ नहीं होगा. शहादत से पहले एक मई को उन्होंने अपने परिवार से फोन पर बात की थी. इस दौरान वह लगातार कहते रहें कि कोई फिक्र की बात नहीं उन्हें कुछ नहीं होगा.
पत्नी से कहा करते थे- मेरे ऊपर 1500 जवानों की जिम्मेदारी है
कर्नल शर्मा हमेशा अपनी पत्नी पल्लवी शर्मा का भी हौसला बढ़ाया करते थे. वह अक्सर कहते थे कि उनपर 1500 जवानों की जिम्मेदारी है और इसलिए पत्नी पल्लवी को परिवार का ख्याल रखना चाहिए.
पल्लवी बताती हैं कि कर्नल शर्मा ने उन्हें एक मई को फोन पर कहा था कि एक जरूरी ऑपरेशन में लगा हुआ हूं. खत्म करके लौट आऊंगा. इसके बाद पता चला कि उनकी टीम की मुठभेड़ आतंकियों से चल रही है. रविवार रातभर हम नहीं सोए. सुबह पता चला कि आशू नहीं रहे, तो पैरों तले जमीन खिसक गई.
कर्नल अपनी पत्नी से 28 फरवरी को आखिरी बार मिले थे जब कर्नल आशुतोष शर्मा को उधमपुर में सेना मेडल मिला था.
बेटी ने कहा- पापा की तरह आर्मी में जाऊंगी
22 अप्रैल को शादी की 16वीं वर्षगांठ पर कर्नल आशुतोष ने अपनी पत्नी के साथ वीडियो कॉल पर बात की. उनकी एक बेटी भी है जो छठी में पढ़ रही. बटी का नाम तमन्ना है. तमन्ना ने पिता से एक मई को बात की थी और कहा था कि वह भी पापा की तरह आर्मी में जाएगी.
दरअसल कर्नल आशुतोष भी अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे. कर्नल आशुतोष के साथ के एक सैन्य अधिकारी के मुताबिक वह अक्सर अपनी बेटी तमन्ना की जिक्र किया करते थे. उन्होंने बताया, ''वह हमें अपनी बिटिया की कई बातें बताते थे जैसे शॉपिंग के लिए रिक्वेस्ट करना, स्पोर्ट्स शूज के लिए उसका प्यार, छुट्टियों पर वकेशन प्लान और एनिमेशन फिल्मों के लिए एक्साइटमेंट. हम सब उनकी बातों पर हंसते थे और कहते थे लेकिन यहां तो कोई मूवी हॉल नहीं है. वह तमन्ना के बारे में अकसर जिक्र करते थे और फोन पर उससे अनगिनत वादे करते थे.''
दो-दो बार वीरता मेडल्स से सम्मानित थे कर्नल आशुतोष
देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर कर्नल आशुतोष शर्मा एक ऐसी यूनिट के शूरवीर से अमर हो गए, जिसने घाटी में 300 आतंकियों को जमींदोज किया है. आशुतोष घाटी में सेना की उसी पराक्रमी 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे, जिसने बीते तीन दशकों की सेवा में घाटी में 300 आतंकियों का अंत किया है.
21 राष्ट्रीय रायफल्स यूनिट की कमान संभाल रहे कर्नल शर्मा दो-दो बार वीरता मेडल्स से सम्मानित हो चुके थे. उन्हें काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस में महारत हासिल थी. गार्ड्स रेजिमेंट से आने वाले कर्नल शर्मा लंबे समय से कश्मीर घाटी में तैनात थे. बतौर कमांडिंग ऑफिसर, अपनी बहादुरी के लिए कर्नल शर्मा को सेना मेडल मिला था.
कर्नल आशुतोष शर्मा का परिचय
कर्नल मुलत: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे. उनका परिवार जयपुर के वैशाली नगर के रंगौली गार्डन में रहता था. कर्नल ने अपना सफर सेना में साल 2000 में शुरू किया था.