नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अपने शौर्य से आतंकियों के मंसूबे को नाकाम करने वाले सुरक्षाबलों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. इस बार चार रक्षा कर्मियों को शौर्य चक्र प्रदान किए गए हैं.


भारतीय सेना ने बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत, मेजर अनिल उर्स और हवलदार आलोक कुमार दुबे को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. तीनों ने जम्मू-कश्मीर में सेना के कई ऑपरेशन में भाग लिया है. इसके अलावा भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर विशाख नायर को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.


ले. कर्नल कृष्ण सिंह रावत
सेना के एक प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि रावत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर (एलओसी) घुसपैठ और आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे.


उसी दौरान खुफिया सूचना मिली थी कि आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ या हमला करने की कोशिश की जा सकती है. रावत ने अपनी टीम का नेतृत्व किया और इसे घुसपैठ के संभावित मार्गों पर तैनात किया.


खराब मौसम में करीब 36 घंटे के बाद उनकी टीम ने आतंकवादियों के समूह को देखा. इसके बाद हुयी भारी गोलीबारी के बावजूद वह अपनी टीम के सदस्यों को निर्देश देते रहे और इसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए.


इसके बाद उन्होंने शेष आतंकवादियों के स्थान की पहचान की और उस आधार पर की गयी कार्रवाई में दो और आतंकवादी मारे गए. तीसरा आतंकवादी घायल हो गया.


प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान दृढ़ और अनुकरणीय नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है."


मेजर अनिल उर्स
प्रशस्ति पत्र में आपरेशन की तारीख का जिक्र नहीं किया गया है. जम्मू कश्मीर में एलओसी पर तैनात कंपनी कमांडर मेजर उर्स को आतंकवादियों के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी.


प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि सामरिक कौशल और मजबूत संकल्प का परिचय देते हुए अधिकारी ने पूरी तरह धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की. आतंकवादियों के समूह को देखते ही उन्होंने तीन आतंकवादियों को मार गिराया.


हवलदार आलोक कुमार दुबे
जम्मू कश्मीर के एक गांव के पास बागों में 22 जून 2019 को तलाशी अभियान शुरू किया गया था. इस दौरान सामरिक दक्षता का परिचय देते हुए हवलदार दुबे ने कंपनी कमांडर की सहायता की.


सु्बह करीब 5.40 बजे दुबे ने अपने से ठीक आगे घनी झाड़ियों में संदिग्ध हरकत देखी. आतंकवादियों का एक समूह भागने की कोशिश कर रहा था. इस क्रम में आतंकियों ने हथगोला फेंका और अंधाधुंध गोलियां चलाईं.


प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि अदम्य साहस प्रदर्शित करते हुए हवलदार आलोक ने एक आतंकवादी को मार गिराया. उसकी बाद में खूंखार आतंकवादी के रूप में पहचान की गयी.


राष्ट्रपति ने सेना के 60 जवानों को सेना पदक (वीरता), नौसेना के लिए चार नौसेना पदक और वायु सेना के लिए पांच वायु सेना पदक (वीरता) की भी मंजूरी दी.