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गलवान के बलवान: चीन से टकराव के बीच कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र और पांच दूसरे सैनिकों को वीर चक्र
महावीर चक्र युद्ध के समय दिया जाने वाला दूसरे सबसे बड़ा वीरता मेडल है. वीर चक्र भी युद्ध के समय या फिर दुश्मन के खिलाफ अनुकरणीय साहस के लिए दिया जाता है (महावीर चक्र और वीर च्रक भी परमवीर चक्र की तरह शांति काल में नहीं दिए जाते हैं).
![गलवान के बलवान: चीन से टकराव के बीच कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र और पांच दूसरे सैनिकों को वीर चक्र Colonel Santosh Babu has been awarded with the second highest wartime gallantry honour, the Maha Vir Chakra ANN गलवान के बलवान: चीन से टकराव के बीच कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र और पांच दूसरे सैनिकों को वीर चक्र](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/06/17050741/santosh-babu.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: चीन से चले रहे टकराव के बीच 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व-संध्या पर देश के राष्ट्रपति ने गलवान के बलवान, कर्नल संतोष कुमार को युद्ध के समय दूसरे सबसे बड़े वीरता मेडल, महावीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित करने की घोषणा की है. उनके साथ गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में वीरगति को प्राप्त हुए पांच अन्य सैनिकों को भी वीर चक्र दिए जाने की घोषणा की गई है.
सेना के प्रशस्ति-पत्र के मुताबिक, “15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान बिहार रेजीमेंट (16 बिहार) के कर्नल बिकुमाला संतोष बाबू को कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) के तौर पर ऑबर्जेवेशन-पोस्ट स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. दुश्मन सैनिकों की हिंसक और आक्रामक कारवाई के सामने भी वह स्वंय से पहले सेवा की सच्ची भावना का उदारण देते हुए दुश्मन के भारतीय सैनिकों के पीछे धकलेने के प्रयास का विरोध करते रहे. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह झड़प में अपनी आखिरी सांस तक नेतृत्व करते रहे.“
सेना के मुताबिक, “दुश्मन के खिलाफ विशिष्ट-बहादुरी, अनुकरणीय और दक्ष नेतृत्व सहित कर्तव्य-पथ पर सर्वोच्च बलिदान के लिए कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया है.”
कर्नल संतोष बाबू के अलावा ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के लिए गलवान घाटी में पांच अन्य सैनिकों को अदम्य साहस और बहादुरी के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है. इनमें से चार को मरणोपरांत दिया गया है. जिन चार सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया है उनमें नायब सूबेदार नूदूराम सोरेन (16 बिहार), हवलदार के पिलानी (81 फील्ड रेजीमेंट), नायक दीपक कुमार ( आर्मी मेडिकल कोर-16 बिहार), सिपाही गुरजेत सिंह (3 पंजाब) शामिल हैं. इसके अलावा हवलदार तेजेंद्र सिंह (3 मीडियम रेजीमेंट) को भी चीनी सैनिकों से हैंड-टू-हैंड फाइट करने और साथी-सैनिकों को दुश्मन के खिलाफ एकजुट करने और चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है.
आपको बता दें कि वीर चक्र भी युद्ध के समय या फिर दुश्मन के खिलाफ अनुकरणीय साहस के लिए दिया जाता है (महावीर चक्र और वीर च्रक भी परमवीर चक्र की तरह शांति काल में नहीं दिए जाते हैं).
सेना के प्रशस्ति-पत्र के मुताबिक, नायक दीपक सिंह हालांकि आर्मी मेडिकल कोर (एएमसी) से ताल्लुक रखते थे और ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान 16 बिहार रेजीमेंट के साथ तैनात थे. 15 जून की रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुई झड़प में दीपक सिंह भी घायल हुए थे. लेकिन घायल होने के बावजूद उन्होनें करीब 30 सैनिकों का उपचार किया और फिर देश के लिए सर्वोच्च-बलिदान दे दिया. उनके इस अनुकरणीय साहस और कार्य के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है.
सेना ने जो वीर सैनिकों के लिए प्रशस्ति-पत्र जारी किया है उसमें साफ तौर से लिखा है कि चीनी सैनिकों ने घातक और तेजधार हथियारों से हमला किया था. लेकिन आमने-सामने की लड़ाई में भारतीय सैनिकों उनपर भारी पड़ गए. नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन, हवलदार के. पिलानी और हवलदार तेजेंद्र सिंह के नेतृत्व और बहादुरी के चलते ही भारतीय सैनिकों ने अपनी जमीन नहीं छोड़ी (जहां ऑबर्जेबेशन पोस्ट बना रहे थे).
वीर चक्र से नवाजे गए सिपाही गुरतेज सिंह के बारे में लिखा है कि दुश्मन सेना की “सैनिकों की तादाद ज्यादा होने और घातक हथियारों से लैस होने के बावजूद उन्होनें अदम्य वीरता, जबरदस्त साहस और असाधारण युद्ध-कौशल के जरिए हैंड टू हैंड काम्बेट यानि हाथ की लड़ाई में” दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए. आपको बता दें कि गुरतेज सिंह ने कई चीनी सैनिकों की गर्दन को अपने हाथ से तोड़ डाला था.
घायल होने के बावजूद उन्होनें अपने साथी सैनिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, जिससे कई सैनिकों की जान बची. लेकिन खुद उन्होनें देश के लिए जान न्यौछावर कर दी. गलवान के बलवान सैनिकों के अलावा राष्ट्रपति ने 05 कीर्ति-चक्र और 07 शौर्य चक्र सहित 455 वीरता मेडल की भी दिए जाने की घोषणा की है.
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