नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच 11वीं कोर कमांडर-स्तर की वार्ता करीब 13 घंटे चलने के बाद कल रात को 11:30 बजे पूरी हुई. भारत और चीन ने गोगरा हाइट्स, हॉट स्प्रिंग्स और देपसांग मैदानों सहित बाकी बचे फ्रिक्शन पॉइंट से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा की. भारत ने गतिरोध वाले इन हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया.
इससे पहले दसवें दौर की सैन्य वार्ता 20 फरवरी को हुई थी. इससे दो दिन पहले दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं. वह वार्ता करीब 16 घंटे चली थी. शुक्रवार को हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की.
भारत को सीमा पर अब भी खतरा
पिछले महीने थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पैंगोग झील के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा 'कम' तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ.
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के आसपास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी. कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी.
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