नई दिल्ली: जेएनयू कैंपस में हॉस्टल मैनुअल पर मचा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मुद्दे पर छात्र जहां लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं अब आम नागरिकों का भी उन्हें साथ मिलेगा. आज जेएनयू छात्रों के समर्थन में आज दिल्ली के मंडी हाउस में आम नागरिकों का विरोध प्रदर्शन होगा. यह प्रदर्शन सुबह 11 बजे मंडी हाउस के पास होगा.


इधर फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों के बाद अब विश्वविद्यालय के शिक्षक भी दो धड़े में बंट गए हैं. करीब 160 शिक्षकों ने जेएनयू शिक्षक संघ से नाता तोड़ते हुए नया संघ बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. एक घोषणा में इन टीचर्स ने कहा है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ऐसी एसोसिएशन है, जो टीचर्स के लिए टीचर्स द्वारा गठित की गई है. अपने अलगाव की घोषणा करते हुए इन टीचर्स ने लिखा है कि एसोसिएशन अजीब तरह से काम कर रहा है और कैंपस के भीतर टीचर्स और उनके परिवार के लोगों पर छात्रों के बीच मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए हमले की निंदा भी नहीं कर रहा है.


28 अक्टूबर 2019 से ऐसे कई मामले सामने आए हैं. इस तरह की रहस्यमई चुप्पी साध कर जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ऐसी हिंसक और पहचान कर हमला करने वाली घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है. जेएनयू के हॉस्टल के वार्डन पर रात में हमला हो रहा है. उनके घरों में घुसा जा रहा है. वॉर्डन के बच्चों को परेशान किया जा रहा है. उनके परिजनों को गालियां दी जा रही हैं, ताकी वे भयभीत हो और ज्यादा परेशान हो.


अलग हुए प्रोफेसर्स का कहना है कि महिला एसोसिएट डीन पर हमला किया गया. उन्हें घेरकर गालियां दी गई. उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया. डीन के साथ भी बुरा बर्ताव किया गया. उन पर हमला किया गया. जिस एंबुलेंस के जरिए डीन को अस्पताल ले जाया जा रहा था, उसे भी रोका गया जबकि उनके स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट हो रही थी. इस दौरान वहां जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे. जब जेन्यू टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से वहां मौजूद अन्य प्रोफेसरों और टीचर्स ने इस मामले में दखल देने की गुजारिश की तो उनका रवैया नकारात्मक रहा.


विश्वविद्यालय ने कहा- 45 करोड़ से अधिक के घाटे में


जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जुंटा) ने इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति से मुलाकात की थी. विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने उस वक्त कहा था कि छात्रावास शुल्क में की गई वृद्धि को पूरी तरह से वापस लिया जाए और कुलपति को हटाया जाए. वहीं विश्व विद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि विश्वविद्यालय 45 करोड़ रुपये से अधिक घाटे में है और शुल्क बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं हैं. साथ ही इस मामले पर झूठ फैलाने का अभियान चलाने का आरोप लगाया.