नई दिल्ली: सिविल सेवाओं में बड़ी संख्या में मुस्लिमों के आने संबंधी एक टीवी चैनल के कार्यक्रम की प्रचार क्लिप पर विवाद खड़ा हो गया है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और सेवारत और सेवानिवृत्त नौकरशाहों समेत अनेक लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर इस तरह की रिपोर्ट की निंदा की.


आईपीएस एसोसिएशन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ''सुदर्शन टीवी धर्म के आधार पर सिविल सेवाओं में चयनित अभ्यर्थियों को निशाना बनाते हुए खबर चला रहा है. हम सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं.'' बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा सदस्य कुंवर दानिश अली ने आरोप लगाया कि सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने न केवल सारी सीमाएं पार की हैं, बल्कि देश का कानून भी तोड़ा है.






बसपा नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व ट्विटर इंडिया से चव्हाणके के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया. चव्हाणके ने कहा कि वह शुक्रवार को निर्धारित समय पर कार्यक्रम प्रसारित करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि आईपीएस संघ मुद्दे की दिशा बदल रहा है. उन्होंने कहा कि मुद्दा पिछले कुछ सालों में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में चयनित कुछ श्रेणियों के लोगों की संख्या में अचानक इजाफे का है. उन्होंने लोगों से कार्यक्रम देखने के बाद ही प्रतिक्रिया देने को कहा.


लोगों ने क्लिप के खिलाफ ट्वीट किया और उसकी निंदा की


चव्हाणके ने कहा कि वह सेवारत आईएएस अधिकारियों और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे और उनके शो में केवल चयन प्रक्रिया में 'पक्षपात और षड्यंत्र' के बारे में सवाल उठाये जा रहे हैं. कई लोगों ने कार्यक्रम के प्रचार की क्लिप के खिलाफ ट्वीट किया और उसकी निंदा की.


जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने कहा, ''हमने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी है और उनसे उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है.'' उन्होंने कहा, ''हमने उन्हें बताया है कि सुदर्शन चैनल ने न केवल जेएमआई और एक समुदाय विशेष की छवि खराब करने की कोशिश की, बल्कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की छवि को भी खराब करने का प्रयास किया है.''


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