Uttarakhand News: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एसिड अटैक सर्वाइवर को 35 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का निर्देश दिया है. हाल ही में एक याचिकाकर्ता के मामले पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया. कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले से भुगतान की गई राशि के अलावा 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, उसके लिए यह उचित और पर्याप्त होगा.
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता कुछ करने को तैयार है तो उसे कुछ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि एसिड अटैक सर्वाइवर के ऑपरेशन, यात्रा और रहने का पूरा खर्च भी उत्तराखंड सरकार की ओर से वहन किया जाना चाहिए. कोर्ट में कहा गया, "मुआवजे और व्यावसायिक प्रशिक्षण की पूर्वोक्त राशि के अलावा, राज्य सरकार पीड़ित को मुफ्त चिकित्सा उपचार भी प्रदान करेगी क्योंकि यह भी हमारे ध्यान में लाया गया है कि एसिड अटैक सर्वाइवर को सर्जरी से भी गुजरना पड़ता है, जिसमें स्किन ग्राफ्टिंग की जरूरत होती है.''
'पीड़िता का उचित इलाज भी कराए सरकार'
कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता की सर्जरी के लिए उत्तराखंड राज्य के अस्पतालों में उचित तकनीक, उपकरण या डॉक्टर नहीं हों तो सरकार बाहर के किसी भी अस्पताल में उसका इलाज कराने के लिए बाध्य होगी. वो नई दिल्ली या चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज करा सकती है." कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता के परिचारक की यात्रा और रहने का खर्च भी राज्य की ओर से वहन किया जाएगा. बहरहाल, सरकार के यूकेएसएलएसए (उत्तराखंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण) को आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से एसिड अटैक सर्वाइवर के नाम पर 35 लाख रुपये की राशि जारी करने और सीधे उसे ट्रांसफर करने का निर्देश दिया जाता है."
महिला पर 2014 में हुआ था तेजाब से हमला
बता दें कि एसिड अटैक सर्वाइवर पर 2014 में तेजाब से हमला किया गया था. तेजाब से हमले में महिला के शरीर का ऊपरी हिस्सा और घुटने 60 फीसदी तक जख्मी हो गए थे. इतना ही नहीं, उसने अपना दाहिना कान भी खो दिया है. बाद में इस मामले में आरोपी को दोषी ठहराया गया था. वहीं, महिला की ओर से दायर एक याचिका पर कोर्ट ने एक निर्देश पारित किया. 2019 में उस याचिका का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने किया था. सरकार अलग से मुआवजा देने को तैयार नहीं थी. सितंबर 2019 में अदालत के आदेश पर उसे 1,50,000 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने की बात हुई थी.
सरकार ने कहा था, चूंकि याचिकाकर्ता को पहले ही डीएलएसए की ओर से मुआवजे का भुगतान कर दिया गया था, इसलिए वह उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष अपील कर सकती थी. सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को पुरानी योजना के तहत मुआवजा दिया जाना चाहिए, न कि नई योजना जो 2018 में लागू की गई थी क्योंकि एसिड अटैक उससे पहले ही हो चुका था. हालांकि, हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति मिश्रा ने सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया. अब पीड़िता के लिए अलग से 35 लाख रुपये मुआवजा देना होगा.
यह भी पढ़ें- Supreme Court: शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले सैनिक से बोला सुप्रीम कोर्ट - जल्द शादी कर लो वरना...