सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों की आर्थिक मदद की जाए. इस संबंध में कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को छह हफ्तों के भीतर गाइडलाइंस तैयार करने और मुआवजे की राशि तय करने के लिए कहा है. दरअसल, अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने एक जनहित याचिका में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कोरोना से मृतक परिजनों को चार लाख रुपए की आर्थिक मदद दिलाने की मांग की थी.


याचिकाकर्ताओं ने सरकार की दो अधिसूचनाओं का उल्लेख किया. एक अधिसूचना 14 मार्च 2020 को जारी की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (डीएमए) के तहत कोविड को एक अधिसूचित आपदा घोषित किया गया था. दूसरी अधिसूचना 8 अप्रैल 2015 को आपदा में मारे गए पीड़ितों को चार लाख रुपये तक का मुआवजा निर्धारित किया गया था.


आपदा के दौरान क्या है NDMA की भूमिका
भारत अलग-अलग स्तरों पर प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं से असुरक्षित देश रहा है. इसी के चलते 23 दिसंबर 2005 को भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को लागू किया गया था. इसमें आपदा के दौरान बचाव कार्य, पुनर्वास, पुनर्निर्माण, खाने की व्यवस्था, शिविर लगाए से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल किया गया था. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का कार्य राहत के लिए नीतियां बनाना और उसका कार्यान्वयन करना है. इसके अलावा एनडीएमए पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिशानिर्देश भी जारी कर सकता है.


मुआवजे पर केंद्र का क्या कहना है
केंद्र सरकार ने हाल ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर चार लाख रुपये का मुआवजा देने में असमर्थता जताई थी. सरकार ने कहा था कि इतनी राशि देना संभव नहीं है इससे सरकार पर बोझ बढ़ेगा. केंद्र का यह भी कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर 12 विशिष्ट चिन्हित आपदाओं में कोरोना नहीं है. आपदा पीड़ितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 में अंग्रेजी के शब्द ‘shall’ की जगह ‘may’ पढ़ा जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने क्ंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया.


ये भी पढ़ें-
Covid Ex-Gratia: SC का आदेश, कोरोना से जान गंवाने वालों के परिवार मुआवजे के हकदार, सरकार खुद तय करे राशि


Corona Update: कोरोना का कम हुआ कहर, लगातार तीसरे दिन 50 हजार से कम आए नए केस, 24 घंटे में 817 की मौत