एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अयोध्या मामलेपर सुप्रीम को र्ट द्वारा दिए गए फैसले पर टिप्पणी करना मंहगा पड़ा है. ओवैसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. भोपाल के जहांगीरबाद पुलिस स्टेशन में ओवैसी के खिलाफ पवन कुमार यादव द्वारा अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है.
बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई थी. असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जताते हुए कहा था कि मस्जिद की जमीन का सौदा नहीं हो सकता है. साथ ही उन्होंने कहा था कि पांच मुस्लमानों को खैरात नहीं चाहिए. ओवेसी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से भी चूक हो सकती है.
उन्होंने कहा, "हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में पांच एकड़ जमीन नहीं चाहिए. हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए. हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है." ओवैसी ने आगे कहा, "अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेता. यह कानून के खिलाफ है. बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता? जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है."
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है.
कोर्ट ने कहा कि ''केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी.