सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट की शिकायत पर 48 घंटे में हो सकेगी कार्रवाई, सरकार वेबसाइट बनाने पर कर रही विचार
फिलहाल गृह मंत्रालय एक साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) चलाता है, जिसे साल 2019 में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मामलों को ऑनलाइन रिकॉर्ड करने के लिए शुरू किया गया था.
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नई दिल्ली: सरकार ने आपत्तिजनक ऑनलाइन पोस्ट को फ़्लैग करने के लिए नए प्लेटफ़ॉर्म की योजना बनाई है. वर्तमान में शिकायतकर्ता या तो उन सामग्रियों को अदालत में चुनौती दे सकते हैं या फिर आक्रामक, धमकी भरे पोस्ट से उपजी चिंताओ को दूर करने के लिए सोशल मीडिया हैंडल को रिपोर्ट करते हैं. आईटी ऐक्ट को संशोधित करने की प्रक्रिया में तेजी के साथ केंद्र सरकार साइबरस्पेस से संबंधित मामलों की तेजी से निस्तारण के लिए एक वैकल्पिक प्रणाली पर विचार कर रही है.
वैकल्पिक प्रणाली में कानून के दायरे में रहते हुए आपत्तिजनक सामग्री के खिलाफ शिकायतों पर सख्त कार्रवाई करने की शक्तियां होंगी. सूत्रों के मुताबिक़ सरकार ऐसे विकल्प पर विचार कर रही है कि जो लोग हिंसात्मक ऑनलाइन सामग्री के बारे में अदालतों या पुलिस से संपर्क नहीं करना चाहते हैं उन्हें कैसे जल्द न्याय मिले या उनकी शिकायतों का जल्द निस्तारण हो सके. ऐसे ही एक विकल्प वेबसाइट बनाने पर विचार किया जा रहा है. जहां ऑनलाइन हिंसा या आपत्तिजनक पोस्ट के शिकार लोगों की शिकायत का समय से समाधान निकाल सके.
सूत्रों के मुताबिक़ ऐसे मामलों में समाधान के लिए अधिकतम समय सीमा 48 घंटे रखे जाने पर विचार हो रहा है. गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में 60,000 से अधिक साइबर अपराध दर्ज किए गए हैं. मंत्रालय ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों मुताबिक़ साइबर अपराध की घटनाओं के 27,248 मामले साल 2016 से साल 2018 में दर्ज किए गए हैं.
फिलहाल गृह मंत्रालय एक साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) चलाता है, जिसे साल 2019 में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मामलों को ऑनलाइन रिकॉर्ड करने के लिए शुरू किया गया था. यह बलात्कार के वीडियो और चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे ऑनलाइन कंटेंट से निपटता है, लेकिन इसके बाद अन्य प्रकार के मामलों को भी शामिल किया गया है जैसे साइबर धोखाधड़ी, लेकिन इन मामलों के समाधान के लिए पोर्टल में कोई निश्चित समय सीमा नहीं है.
आपको बता दें दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दूरसंचार संसाधनों से संबंधित धोखाधड़ी गतिविधि की जांच में एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक नोडल एजेंसी “डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट” यानी डीआइयू की स्थापना करने का फ़ैसला लिया है. इसी फ़ैसले के बाद अब सरकार वेबसाइट के ज़रिए ऑनलाइन हिंसा और आपत्तिजनक पोस्ट पर लगाम कसने को तैयारी में है, ताकि शिकायतकर्ता की समस्या का 48 घंटे के भीतर समाधान हो सके.
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