चक्रवृद्धि ब्याज पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकारी बैंकों को लगेगी 2000 करोड़ रुपये की 'चोट'
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सिर्फ उन खातों तक सीमित है जिन्होंने भुगतान की छूट का फायदा लिया है. ऐसे में मोटे अनुमान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2,000 करोड़ रुपये से कम की चोट लगेगी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल में कोविड-19 महामारी की वजह से मार्च-अगस्त 2020 के दौरान कर्ज की किस्त के भुगतान पर छूट की अवधि के लिए सभी लोन खातों पर चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज को माफ कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले से सरकारी बैंकों को 1800 से 2000 करोड़ रुपये का 'नुकसान' उठाना पड़ सकता है.
कोर्ट ने अपने फैसले के तहत दो करोड़ रुपये से अधिक के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज में छूट दी है. इस राशि से कम के कर्ज पर पिछले साल नवंबर में ब्याज पर ब्याज को माफ किया गया था. किस्त के भुगतान पर छूट के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज समर्थन योजना से सरकार पर 2020-21 में 5,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है.
25 फीसदी कर्जदारों ने उठाया फायदा बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में 60 फीसदी कर्जदारों ने इस छूट का फायदा उठाया था. लेकिन लॉकडाउन में छूट के बाद यह आंकड़ा 40 फीसदी और उससे भी नीचे आ गया था. कॉरपोरेट के मामले में जहां तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सवाल है, यह आंकड़ा 25 फीसदी के निचले स्तर पर है.
सूत्रों ने बताया कि बैंक किस्त के भुगतान की छूट की अवधि पर चक्रवृद्धि ब्याज में छूट देंगे. उदाहरण के लिए अगर किसी ग्राहक ने तीन महीने के लिए किस्त भुगतान की छूट ली है, तो तीन महीने के लिए उसका चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया जाएगा. रिजर्व बैंक ने पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से सभी मियादी ऋण पर एक मार्च से 31 मई 2020 तक की किस्तों के भुगतान पर छूट दी थी. बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था.
सरकार से भरपाई करने की मांग सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सिर्फ उन खातों तक सीमित है जिन्होंने भुगतान की छूट का फायदा लिया है. ऐसे में मोटे अनुमान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2,000 करोड़ रुपये से कम की चोट लगेगी. इस बीच, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने सरकार को पत्र लिखकर बैंकों को ब्याज पर ब्याज छूट की भरपाई करने को कहा है. सरकार विभिन्न पहलुओं पर विचार के बाद इस पर फैसला करेगी.
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