नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में चुनावी साल में पांच संतों को नर्मदा नदी की रक्षा के लिये राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजा गया है. शिवराज सरकार के फैसले के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. राज्य में शायद पहली बार है जब संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है. जिन संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है उनमें कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज जैसे चर्चित चेहरे हैं. जिनका रसूख धार्मिक क्षेत्र के साथ राजनीतिक जगत में भी रहा है. आइए जानते हैं उन पांच संतों के बारे में-


कंप्यूटर बाबा: स्वामी नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनका दिमाग और याद रखने की क्षमता काफी तेज है. यही वजह है कि उन्हें लोग कंप्यूटर बाबा के नाम से जानते हैं. आम संतों से अलग इनके हाथों में हमेशा एक लैपटॉप रहता है. साथ ही लेटेस्ट गैजेट्स के भी काफी शौकीन हैं. उनके पास वाई-फाई डोंगल, मोबाइल और यहां तक की एक हेलीकॉप्टर साथ रहता है.


2013 में कंप्यूटर बाबा अचानक सुर्खियों में आ गये थे जब उन्होंने कुंभ मेले में हेलीकॉप्टर से आने की अनुमति मांगी थी. वह इंदौर के दिगंबर अखाड़ा का प्रतिनिधित्व करते हैं.


शिवराज सरकार की ओर से राज्य मंत्री का दर्जा मिलने से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी सरकार के खिलाफ 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' का ऐलान किया था. लेकिन अब उनके सुर बदल चुके हैं. विपक्षी दल कांग्रेस और सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें पुरानी बात याद दिला रहे हैं.


राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने के बाद कम्प्यूटर बाबा ने कहा, "हम लोगों ने यह यात्रा निरस्त कर दी है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिये साधु-संतों की समिति बनाने की हमारी मांग पूरी कर दी. अब भला हम यह यात्रा क्यों निकालेंगे.''


उन्होंने कहा, ''साधू समुदाय की ओर से हम सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने हमलोगों पर विश्वास किया. हम समाज की बेहतरी के लिए अच्छा करने की कोशिश करेंगे.''


भय्यू महाराज: जमींदार और पूर्व मॉडल भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदय सिंह देशमुख है. भय्यू महाराज अपने अजीबो-गरीब और लाइफस्टाइल के लिए जाने जाते हैं. इनकी शान ओ शौकत भी कम नहीं है. व्हाइट मर्सिडीज एसयूवी से खुद सफर करते हैं साथ ही उनके साथ कई फॉलोअर का काफीला भी चलता है.



इनकी राजनीतिक पहुंच भी काफी रही है. भय्यू महाराज के कई दलों के दिग्गज नेता और बिजनेसमैन भी फॉलोअर हैं और धार्मिक मामलों पर इनसे सलाह ली जाती रही है.


भय्यू महाराज की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि वह एक आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक और मोटिवेटर हैं. जिनका मात्र एक उद्देश्य है देश के गरीब-गुरबों के चेहरे पर खुशी लाना है. पिछले साल वह तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने इंदौर की एक लड़की डॉ. आयुषी से शादी की थी. उनकी पहली पत्नी माधवी का 2015 में निधन हो गया था.


भय्यू महाराज ने 2011 में लोकपाल आंदोलन के समय बड़ी भूमिका निभाई थी. बताया जाता है कि अन्ना का अनशन तुड़वाने के लिए केंद्र सरकार ने दूत बनाकर भेजा था. बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का भी सद्भावना उपवास भय्यू महाराज ने ही तुड़वाया था.


शिवराज सरकार की ओर से मंत्री पद का दर्जा दिये जाने पर भय्यू महाराज ने कहा, ''सरकार ने मुझे मेरे द्वारा समाज हित में किये गए अच्छे कार्यों को देखकर यह दर्जा दिया है. मैं पहले जिस तरह काम करता रहा हूँ आगे भी उसी तरह निरन्तर कार्य करता रहूंगा. और मैं राज्यमंत्री का किसी भी तरह का लाभ नहीं लूंगा.'' उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों के लिए काम करता रहूंगा.


हरिहरानंद: नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में शामिल रहे हरिहरानंद ने नर्मदा संरक्षण के लिए काफी काम किया है. नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा 11 दिसंबर 2016 से 11 मई 2017 तक 144 दिनों तक चली थी. यह अमरकंटक से शुरू हुई थी.


योगेंद्र महंत: योगेंद्र महंत को भी शिवराज सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है. वह भी "नर्मदा घोटाला रथ यात्रा" के संयोजक थे. इन्होंने एक मई से 15 मई तक बीजेपी सरकार के खिलाफ यात्रा निकालने का फैसला किया था. उनका आरोप था की नर्मदा हरियाली प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया किया गया. अब उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिये गया है. अब उनके सुर बदल चुके हैं.


नर्मदानंद जी महाराज: मध्य प्रदेश के नामी संतों में से एक हैं. हनुमान जयंति और राम नवमी के मौके पर हर बार यात्रा निकालते हैं. उन्होंने पिछले साल कई शोभा यात्रा का आयोजन किया था. अब उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया है.