चंडीगढ़: पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके और शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू की पंजाब के तरन तारन जिले में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. सरकार ने कुछ समय पहले उनकी सुरक्षा वापस ली थी. सिंह की मौत के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने एसआईटी गठित की है और कहा है कि परिवार को सुरक्षा देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी एंगल से इसकी जांच होगी.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्ववीट कर कहा, ''सीएम अमरिंदर सिंह ने बलविंदर सिंह की हत्या पर दुख जताया है और पंजाब के डीजीपी को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द जांच पूरी हो यह सुनिश्चित करें.''
दफ्तर में हुई हत्या
पुलिस ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने 62 वर्षीय संधू को उस समय चार गोलियां मारी जब वह जिले में भीखीविंड गांव स्थित अपने घर से लगे दफ्तर में थे. हमलावर हमला करने के बाद फरार हो गये.
संधू को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. संधू कई साल राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़े और पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद जब चरम पर था तब उन पर कई आतंकवादी हमले किये गए.
बलविंदर सिंह संधू के भाई रंजीत ने कहा कि तरन तारन पुलिस की सिफारिश पर राज्य सरकार द्वारा एक वर्ष पहले संधू की सुरक्षा वापस ले ली गई थी. उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार आतंकवादियों के निशाने पर रहा.
'आतंकवादियों ने मारा'
बलविंदर की पत्नी जगदीश कौर ने कहा कि यह ‘‘आतंकवादियों का काम है.’’ उन्होंने कहा कि उनके परिवार की किसी के साथ कोई निजी शत्रुता नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘परिवार ने हमेशा आतंकवादियों के खिलाफ मुकाबला किया. आतंकवादियों द्वारा मेरे परिवार पर 62 हमले किये गए. हमने डीजीपी दिनकर गुप्ता से सुरक्षा के लिए कई अनुरोध किये लेकिन सभी अनुरोध व्यर्थ गए.’’
तरन तारन के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डी निम्बले ने कहा कि जांच जारी है. उन्होंने कहा कि हत्या के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है. उन्होंने कहा कि फुटेज की जांच की जा रही है.
बलविंदर सिंह संधू कुछ वृत्तचित्रों में भी आये थे. संधू और उनके परिवार से प्रेरित होकर कई लोगों ने आतंकवादी हमलों से खुद का बचाव किया.
केंद्र सरकार ने 1993 में संधू को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. उन्हें प्रदान किये गए शौर्य चक्र के प्रशस्तिपत्र में कहा गया था, ‘‘बलविंदर सिंह संधू और उनके भाई रंजीत सिंह संधू आतंकवादी गतिविधियों के विरोध में रहे. वे आतंकवादियों के निशाने पर थे. आतंकवादियों ने लगभग 11 महीनों में संधू के परिवार को समाप्त करने के 16 प्रयास किए.’’
इसमें लिखा था, ‘‘आतंकवादियों ने उन पर 10 से लेकर 200 के समूह में हमला किया, लेकिन हर बार संधू भाइयों ने अपनी बहादुर पत्नियों जगदीश कौर संधू और बलराज कौर संधू की मदद से आतंकवादियों के प्रयासों को सफलतापूर्वक विफल किया.’’
आतंकवादियों ने पहली बार परिवार पर 31 जनवरी 1990 को हमला किया था. परिवार पर भीषण हमला 30 सितम्बर 1990 को किया गया था जब करीब 200 आतंकवादियों ने उनके घर को चारों ओर से घेर लिया और उन पर पांच घंटे लगातार खतरनाक हथियारों से हमला किया. इन हथियारों में रॉकेट लांचर भी शामिल थे.
प्रशस्तिपत्र में लिखा था कि आतंकवादियों के इस सुनियोजित हमले में मकान तक आने वाले रास्ते को बारूदी सुरंग बिछाकर बाधित कर दिया गया था ताकि पुलिस की कोई मदद उन तक न पहुंच सके.
इसमें कहा गया था कि संधू भाइयों और उनकी पत्नियों ने आतंकवादियों का पिस्तौल और स्टेनगन से मुकाबला किया जो उन्हें सरकार द्वारा मुहैया करायी गई थी. संधू भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्रतिरोध ने आतंकवादियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया.
प्रशस्तिपत्र में कहा गया था कि इन सभी व्यक्तियों ने आतंकवादियों के हमले का सामना करने और बार-बार किए गए जानलेवा हमलों को विफल करने के लिए अत्यंत साहस एवं बहादुरी का प्रदर्शन किया है.