नई दिल्लीः सरकार के दिशानिर्देशों और वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए आचार संहिता जारी करने के एक हफ्ते बाद, इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के सदस्यों ने सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को अपनी चिंताओं से वाक़िफ़ कराया. इनमे अमेजन, नेटफ्लिक्स, ज़ी, हॉट स्टार जैसे विडीओ स्ट्रीमर के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में प्रमुख चिंता थी OTT प्लेटफार्मों और सामग्री रचनाकारों को आपराधिक कार्यवाही से बचाव था.


प्रतिनिधियों का तर्क था कि स्व-नियामक शिकायत निवारण प्रक्रिया के तीन स्तरों के समाप्त होने के बाद ही ऐसा होना चाहिए. यानी अगर किसी दर्शक को किसी कंटेंट पर आपत्ति है तो वो शिकायत निवारक प्रकिया से गुज़रने के बाद ही पुलिस के पास जाकर आपराधिक मामला दर्ज करवा सके.


बैठक में शामिल एक सदस्य ने बताया, "हम सभी देख रहे हैं कि तांडव मामले में क्या हो रहा है. अमेज़ॅन प्राइम धारावाहिक का उल्लेख करते हुए कहा कि, इस आधार पर कानूनी कार्यवाही की कि फ़िल्म में हिंदू देवताओं और उत्तर प्रदेश पुलिस को अनुचित रूप से चित्रित किया गया है.


हाई कोर्ट ने रचनाकारों की ओर से माफी और कटौती के बावजूद मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. सदस्य ने बताया, ''हम कुछ आश्वासन चाहते हैं. हम दिशानिर्देशों में सरकार द्वारा निर्धारित विस्तृत शिकायत निवारण प्रणाली का पालन करेंगे,लेकिन हम उसके साथ साथ आपराधिक कार्यवाही नहीं चाहते है.'' प्रतिनिधिमंडल ने कंटेंट और एज़ वेरिफ़िकेशन सिस्टम बनाने पर भी चिंता जताई.


उन्होंने कहा, ''यदि आप पूरे उद्योग को देखते हैं, तो 40 से अधिक ओटीटी चेनल हैं. मौजूदा एज़ वेरिफ़िकेशन प्रणालियों वाले बहुत कम चैनल हैं. प्रतिनिधियों ने कहा कि पांच आयु श्रेणियों के तहत सामग्री को वर्गीकृत करने में समय लगेगा.'' छोटी ओटीटी सेवाओं के लिए तो ये और भी ज़्यादा मुश्किल है. एक प्रतिनिधि ने बताया, "हमने बताया है कि सरकार को सिर्फ शीर्ष पांच-सात खिलाड़ियों को नहीं देखना चाहिए."


सदस्यों ने नए नियमों को लागू करने के लिए समय मांगा क्योंकि इसमें ओटीटी प्लेटफार्मों की तकनीकी पहलुओं को खोलने के साथ-साथ प्रत्येक OTT पर कई हजारों घंटे की सामग्री को फिर से खोलने की ज़रूरत पड़ेगी.


कुछ OTT प्रतिनिधियों का कहना है कि सिस्टम को लगाने के लिए छह से आठ महीने की आवश्यकता होगी. कुछ बदलावों को करना आसान है, जबकि कुछ बदलावों में वक्त लगेगा. कुछ OTT के पास से कुछ के पास कोई बच्चों के लिए लॉक सिस्टम नहीं है. इसे शुरू करने में कुछ समय लेगेगा.


वर्गीकरण को निम्नलिखित श्रेणियों में प्रमुखता से दिखाना होगा - सार्वभौमिक (यू), यू / ए 7+, यू / ए 13+, यू / ए 16+ और वयस्क. OTT प्लेटफॉर्म को 13+ के रूप में वर्गीकृत की जाने वाली सामग्री के लिए पेरेंट लॉक भी उपलब्ध कराना होगा.


फ़िलहाल सरकार ने OTT स्ट्रीमर की चिंताओ को सुना है और आगे फिर मिलकर चिंता को दूर करने पर सहमति बनी है लेकिन सरकार ने फ़िलहाल किसी तरह की नियमों में ढिलाई का संकेत नहीं दिया है.


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