मुंबई महानगर पालिका के आंकड़ों से पता चला है कि 2019-2020 की तुलना में शहर में 2020-2021 के दौरान गड्ढों की शिकायतों की संख्या में 76% की गिरावट देखी गई है. वहीं 1 जून से 13 जुलाई तक सिर्फ 239 गड्डों की शिकायतें दर्ज हुई हैं. लेकिन जमीनी हकीकत जानने के लिए जब हमने नागरिकों से बात की तब पता चला के मुंबई के रास्तों की हालत खराब है.


इस आकड़े की असलियत जानने के लिए मुंबई के धारवी लेबर कैंप इलाके में स्थित चौराहे पर बहुत गड्ढे देखे गए. वहीं वहां से जाने वाली गाडियां भी गड्डों की वजह से धीमी गति से चल रही थीं. मुंबई में टैक्सी वाले ज्यादातर यात्रियों को लेकर पूरी मुंबई घूमते हैं तो उन्हें गड्ढ़ों की परिस्तिथि की ज्यादा जानकारी होती है. धारवी के लेबर कैंप के चौराहे पर जहां बहुत गड्ढें देखे गए, वहां यात्री का इंतज़ार करते टैक्सी चालक ने बताया के बारिश के मौसम में गड्ढ़ों की संख्या बहुत हो जाती है. 


वहीं जो लोग अपने निजी वाहनों से काम पर जाते हैं, जब उनसे बात की तो टू व्हीलर चालकों का कहना है कि रस्तों पर गड्ढे होने की वजह से गिरने की बहुत संभावना होती है. वहीं गाड़ी भी जल्द खराब हो जाती है और 4 व्हीलर चालक ने बताया कि गड्डों की वजह से ट्रैफिक जाम हो जाता है. इसी कारण समय पर कहीं पहुंच भी नहीं सकते.


निजी वाहनों से काम पर जाने वालों ने बीएमसी के इन आकड़ों को झूठा बताया. बीएमसी के विरोधी पक्षी नेता रवि राजा का कहना है कि हर साल बारिश में गड्ढे उभर आते हैं और महा नगरपालिका इस पर ध्यान नहीं देती है.


मुंबई महानगर पालिका के आकड़ों के अनुसार जून से जुलाई तक सिर्फ 239 गड्डों की शिकायतें दर्ज हुई हैं, लेकिन असलियत में आज भी कई नागरिक रस्तों पर मौजूद गड्ढ़ों से परेशान हैं और मुंबई महानगर पालिका को इन परेशानियों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है.