नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में बुधवार की सुबह से ही कुलसचिव पद को लेकर घमासान देखने को मिला. जिस के बाद यूनिवर्सिटी के प्रो वाईस चांसलर भी बदल दिए गए. इसकी शुरुआत होती है जब बुधवार को डीयू की वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमे ऑपरेशनल रिसर्च विभाग के प्रोफेसर पीसी झा को साउथ कैंपस के निदेशक और कार्यवाहक रजिस्ट्रार के रूप में नियुक्त करने की बात कही गई. पत्र में लिखा है, "उन्हें तत्काल प्रभाव से बायोकेमिस्ट्री विभाग की सुमन कुंडू के स्थान पर नियुक्त किया जा रहा है".
वेबसाइट पर इस नोटिफिकेशन के अपलोड होने के चंद घंटे के अंदर ही इस नोटिफिकेशन को हटा दिया गया और फिर एक नई कहानी सामने आई. एक नोटिस कार्यकारी वी.सी पीसी जोशी द्वारा जारी किया गया था, जिसमें पीसी झा की नियुक्ति को गलत ठहराते हुए उन्हें तत्काल कार्यालय खाली करने का आदेश दिया गया था. वहीं बुधवार देर शाम एक और नोटिफिकेटिकन आता है जिसमे प्रोफेसर विकास गुप्ता को कुलसचिव नियुक्त कर दिया गया.
इस पूरे मामले के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर योगेश त्यागी के अस्वस्थ होने की बात भी सामने आ रही है. ऐसे में कुलपति की अनुपस्थिति के चलते पूरा कार्यभार प्रोफेसर पीसी जोशी संभाल हुए थे. वहीं डीयू के कुल सचिव पद के लिए 10 अक्टूबर को इंटरव्यू भी हुए थे, लेकिन उसका रिजल्ट जारी नहीं किया गया था. इसी सिलसिले में विचार विमर्श करने के लिए 20 अक्टूबर को यूजीसी ने ऑनलाइन बैठक भी बुलाई थी, जिसमें कुलपति भी शामिल हुए थे. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तकनीकी खराबी के चलते बैठक बेनतीजा रही. वहीं अब एग्जीक्यूट प्रोफेसर विकास गुप्ता को कुलसचिव नियुक्त किए जाने का नोटिफिकेशन भी सामने आया है.
22 अक्टूबर को प्रोफेसर विकास गुप्ता की कुल सचिव पद पर नियुक्ति के बाद एक और नया नोटिफिकेशन आता है जिसमे दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो वाईस चांसलर पीसी जोशी को उन के पद से हटा कर उनकी जगह डॉक्टर गीता भट्ट को नियुक्त किया गया है.
इस धमासान के चलते हमने प्रोफेसर पीसी जोशी, प्रोफेसर पीसी झा और वाईस चांसलर योगेश त्यागी से भी बात करने की कोशिश की लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हुआ. इस पूरे मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव रे ने हमसे बात की. उनका कहना है कि; "कल से जो शुरू हुआ है की पहले एक नोटिफिकेशन फिर दूसरा नोटिफिकेशन. ड़ूटा की तरफ से यही कहेंगे कि पहले पद पर कोई अप्पोइन्ट हो रहे है फिर इसकी जगह वह अप्पोइन्ट हो रहे है. यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को साथ बैठ कर एक डिसीजन लिया जाए. दिल्ली यूनिवर्सिटी के 99 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है, जैसे अभी हो रहा है. में यही कहूंगा कि टीचर्स स्टूडेंट्स के साथ खड़े थे और रहेंगे. टीचर्स के काम मे कोई प्रॉब्लम नहीं है. यह सब एडमिनिस्ट्रेशन और हायर लेवल पर चल रही है. यूनिवर्सिटी वाईस चांसलर को हम महीनों नहीं देखते. अगर वह स्वस्थ हो गए है तो वापस काम जॉइन करे. रिमोट कंट्रोल से नहीं चलता है.
इस पर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने भी अपनी नाराजगी जताई. डूसू अद्यक्ष अक्षित दाहिया का कहना है कि; "यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है हमारी यूनिवर्सिटी का की हमे ऐसे एडमिनिस्ट्रेटर्स मिले है कि जब इतना प्रेशियस टाइम है एडमिशन का उस समय स्टूडेंट्स वेलफेयर का ना सोच के, सब चेज़ो को दरकिनार कर के पोस्ट के लिए लड़ रहे है. वाईस चांसलर अलग लेटर जारी करते है. प्रो वाईस चांसलर अलग लेटर जारी करते है. रातों रात रजिस्ट्रार बदल जाते है. 2-2 रजिस्ट्रार एक समय मे मीटिंग करते है. 2 वाईस चांसलर नियुक्त हो जाते है."