जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ लगी देशद्रोह की धारा को लेकर दिल्ली सरकार आठ महीने गुजर जाने के बावजूद अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है. दिल्ली पुलिस ने इसी साल जनवरी महीने में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह की धारा भी लगाई गई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने यह धारा लगाते वक्त और अदालत में चार्जशीट दायर करते वक्त दिल्ली सरकार की अनुमति नहीं ली थी. जबकि नियमों के हिसाब से दिल्ली सरकार को ऐसे मामलों में अपना रुख साफ करना जरूरी होता है.
रुख साफ करने को लेकर फाइल अभी भी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के पास लटकी
लिहाजा मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार से उस दौरान ही इस मामले पर अपना रुख साफ करने को कहा था. लेकिन अब तक दिल्ली सरकार ने इस पर अपना कोई रुख साफ नहीं किया है. बुधवार को ही सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गयी कि अभी भी कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह की स्वीकृति का मामला दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री (गृह विभाग भी देख रहे हैं) के पास लंबित है.
कोर्ट का निर्देश- समय ना हो बर्बाद
दिल्ली सरकार के जवाब को देखने के बाद मामले की सुनवाई कर रही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई यानी 25 अक्टूबर से पहले इस मामले पर अपना रुख साफ कर दे, जिससे मामले की सुनवाई आगे बढ़ सके. कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि उम्मीद करते हैं कि जल्द ही इस मामले पर कोई फैसला लिया जाएगा और कोर्ट का वक्त और बर्बाद नहीं होगा.
जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में कन्हैया कुमार के खिलाफ लगी है देशद्रोह की धारा
गौरतलब है कि फरवरी 2016 में दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी परिसर में देश विरोधी नारे लगे थे और इस मामले में जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी आरोपी बनाया गया था. दिल्ली पुलिस का दावा था कि पुलिस के पास ऐसे कई तथ्य और सबूत हैं जो ये साबित करते हैं कि उन नारे लगाने वालों में कन्हैया कुमार भी शामिल था. इसी को आधार बनाते हुए जब पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दायर की तो कन्हैया कुमार को मुख्य आरोपी बताया गया और उसके खिलाफ देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की.