Congress 85th Plenary Session: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय महाधिवेशन चल रहा है. इसमें कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) का चुनाव नहीं कराने पर फैसला हुआ. अब इस सीडब्ल्यूसी को चुनने का काम पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को ही करना होगा. खरगे को पार्टी ने फ्री हैंड तो दे दिया, लेकिन कंधों पर बड़ी चुनौती भी दे दी है.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि संचालन समिति में सर्वसम्मति से तय हुआ कि सीडब्ल्यूसी के चुनाव नहीं होंगे, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष ही सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को नामित करेंगे. जयराम रमेश का कहना था कि मौजूदा राजनीतिक हालातों और देश के प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस के सामने मौजूद चुनौतियों को देखते हुए सीडब्ल्यूसी का चुनाव न कराने का फैसला लिया गया है. मतलब अब मल्लिकार्जुन खरगे को सीडब्ल्यूसी के निर्वाचित और मनोनीत दोनों श्रेणियों में सदस्य नामित करने के लिए अधिकृत किया गया है.
CWC सदस्य चुनना बड़ी चुनौती
पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए अब CWC के स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 35 कर दी है. अभी तक सदस्यों की संख्या 23 थी. इसमें 4 सदस्यों के नाम तो बिल्कुल तय माने जा रहे हैं, इनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनमोहन सिंह का नाम शामिल है. बचे हुए 31 सदस्यों के नाम को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तय करेंगे. अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि किसे इस समिति में शामिल किया जाए और किसे छोड़ दिया जाए.
किसे शामिल किया जाए, किसे नहीं
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, शक्ति सिंह गोहिल, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, शैलजा कुमारी, तारिक अनवर, भक्त चरण दास, जेपी अग्रवाल, राजीव शुक्ला, एचके पाटिल जैसे पुराने नेता सीडब्ल्यूसी के लिए प्रबल दावेदार हैं. यदि खरगे की चुनौती होगी कि यदि इन्हें ही सीडब्ल्यूसी में शामिल कर लेते हैं तो नए लोगों को कैसे मौका देंगे? वहीं यदि सचिन पायलट, और इमरान प्रतापगढ़ी जैसे युवा बिग्रेड को ज्यादा महत्व दे दिया तो अनुभव की कमी हो जाएगी. इसके अलावा शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे नेताओं को भी साधने का दबाव होगा.
खरगे को फ्री हैंड देने की वजह
खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद से यह चर्चा होती है कि वह 10 जनपथ या गांधी परिवार के दबाव या इशारे में काम करते हैं. ऐसे में खरगे को फ्री हैंड देकर पार्टी यह संकेत देना चा रही है कि संचालन समिति ने जो भी निर्णय लिया, वह स्वतंत्र रूप से लिया गया. उस पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी या परिवार का कोई दबाव नहीं था. गांधी परिवार ने यह संकेत देने की कोशिश की कि बतौर अध्यक्ष खरगे अपनी टीम सीडब्ल्यूसी का चुनाव खुद करें.