PM Narendra Modi Degree Case: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री मामले पर कांग्रेस ने तंज कसा है. कांग्रेस की ओर से 'न्यू इंडिया' में पारदर्शिता की सीमा पर सवाल खड़ा किया गया है. वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने सवाल खड़ा किया है कि क्या देश को प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता जानने का अधिकार नहीं है? बीजेपी की ओर से भी पलटवार किया गया है. बीजेपी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के खिलाफ झूठ फैला रहे हैं.
गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग ने गुजरात विश्वविद्यालय को आदेश दिया था कि पीएम मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ साझा की जाए. सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था. जिस पर शुक्रवार को हाई कोर्ट ने सीआईसी के आदेश को रद्द कर दिया और केजरीवाल पर जुर्माना भी लगाया. आखिर क्या है पीएम मोदी की डिग्री का मामला और किस नेता ने क्या कुछ कहा, आइए जानते हैं.
कांग्रेस का पीएम मोदी की डिग्री मामले पर तंज
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए परोक्ष रूप से पीएम मोदी के डिग्री मामले पर तंज कसा. उन्होंने लिखा, ''न्यू इंडिया में पारदर्शिता की भी सीमा होती है. यही तो 'संपूर्ण राजनीति विज्ञान' पढ़ाता है.
अनपढ़ या कम पढ़े लिखे पीएम देश के लिए बेहद खतरनाक- केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ''क्या देश को ये जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम कितना पढ़े हैं? कोर्ट में इन्होंने डिग्री दिखाए जाने का जबरदस्त विरोध किया. क्यों? और उनकी डिग्री देखने की मांग करने वालों पर जुर्माना लगा दिया जाएगा? ये क्या हो रहा है? अनपढ़ या कम पढ़े लिखे पीएम देश के लिए बेहद खतरनाक हैं.''
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी की ओर से पलटवार में पार्टी नेता संबित पात्रा ने केजरीवाल के माफी मांगने का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि ‘इतिहास खुद को दोहरा रहा है.’ बीजेपी प्रवक्ता पात्रा ने एक बयान में कहा, ‘‘केजरीवाल जो कर रहे हैं वह उनकी हताशा को दर्शाता है. वह स्वाभाविक रूप से निराश हैं क्योंकि उनकी सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार और शराब घोटाले में शामिल होने के आरोप में जेल में हैं. उनकी टिप्पणियां इसी का परिणाम हैं.’’
पात्रा ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पार्टी के एक अन्य प्रमुख चेहरे दिवंगत अरुण जेटली से उनके खिलाफ आरोप लगाने के लिए माफी मांगनी पड़ी थी. केजरीवाल ने भ्रष्टाचार सहित अपने अन्य ‘झूठे’ आरोपों के लिए माफी मांगने के बाद अदालत के बाहर मामले को सुलझाया. पात्रा ने गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणियों और केजरीवाल पर जुर्माने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘इतिहास आज खुद को दोहरा रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल या उनकी पार्टी के लिए यह कोई नई बात नहीं है.’’
अमित मालवीय यह बोले
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘‘गुजरात हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाई. प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में तुच्छ याचिकाएं दायर करने के लिए उन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया.’’
केजरीवाल राहुल गांधी के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा में- शहजाद पूनावाला
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया, ‘‘झूठ बोलना और अप्रिय टिप्पणी करना, प्रधानमंत्री के पद के बारे में झूठ फैलाना फैशन बन गया है और केजरीवाल इस संबंध में राहुल गांधी के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन आज उन्हें हाई कोर्ट ने उनकी जगह दिखा दी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि केजरीवाल अब राहुल की तरह न्यायपालिका पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं करेंगे. इसे ‘साक्षर और फिर भी अशिक्षित’ के रूप में गिना जाएगा.’’
क्या है पीएम मोदी की डिग्री का मामला?
बता दें कि शुक्रवार (31 मार्च) को गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के सात साल पुराने उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को पीएम मोदी की डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था. सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए जस्टिस बीरेन वैष्णव ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और उन्हें चार हफ्ते के भीतर गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (GSLSA) में राशि जमा करने के लिए कहा.
जस्टिस वैष्णव ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिका मंजूर की जाती है और सीआईसी का 29 अप्रैल, 2016 का आदेश रद्द किया जाता है.’’ केजरीवाल के वकील पर्सी कविना अदालत के इस आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया लेकिन जस्टिस वैष्णव ने इससे इनकार कर दिया. 'आप' गुजरात के कानूनी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रणव ठक्कर ने कहा, ‘‘इस फैसले के साथ, नागरिकों ने प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी मांगने का अधिकार खो दिया है. इस मामले में प्रतिवादी केजरीवाल पर जुर्माना लगाने से भी हमें हैरानी हुई है. हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इस आदेश के खिलाफ जल्द ही एक खंडपीठ का रुख करेंगे.’’
2016 में सीआईसी ने गुजरात विश्वविद्यालय को दिया था ये निर्देश
अप्रैल 2016 में तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को पीएम मोदी को प्राप्त डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. केजरीवाल ने आचार्युलू को एक पत्र लिखा था, जिस पर सीआईसी ने कहा कि केजरीवाल अपने सरकारी रिकॉर्ड को सार्वजनिक किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है और हैरानी है कि आयोग मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी को ‘छिपाना’ क्यों चाहता है. पत्र के आधार पर आचार्युलु ने गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को मोदी की शैक्षणिक योग्यता का रिकॉर्ड देने का निर्देश दिया था. मई 2016 में, गुजरात विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति एमएन पटेल ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने 1983 में बाहरी छात्र के रूप में 62.3 प्रतिशत के साथ राजनीति विज्ञान में एमए किया था.
पिछली सुनवाइयों में गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से ये कहा गया
पिछली सुनवाइयों के दौरान, गुजरात विश्वविद्यालय ने सीआईसी के आदेश पर जोरदार आपत्ति जताते हुए कहा था कि सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत किसी की ‘गैर-जिम्मेदाराना बचकानी जिज्ञासा’ सार्वजनिक हित नहीं बन सकती है. फरवरी में हुई पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी ‘पहले से ही सार्वजनिक है’ और विश्वविद्यालय ने पूर्व में एक खास तारीख पर अपनी वेबसाइट पर जानकारी को सार्वजनिक किया था. हालांकि, केजरीवाल के वकील पर्सी कविना ने दावा किया था कि जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं थी और उन्होंने अपने मुवक्किल की मांग का यह कहते हुए बचाव किया कि ‘कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.’