नई दिल्ली: कांग्रेस की दिल्ली ईकाई ने शनिवार को आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल नीत ‘आप’ सरकार किराये के मकानों में रह रहे लोगों को अलग बिजली मीटर लगाने के लिए बहला-फुसला रही है. जिसके बाद दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को लाभ पहुंचाने के लिए निर्धारित शुल्क बढ़ा दिए हैं.


कांग्रेस की दिल्ली ईकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाखों मीटर लगाने का नाटक शुरू किया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बिजली के बिल पहले मामूली आते थे. निर्धारित शुल्क (फिक्स्ड चार्ज) के नाम पर सरकार ने करोड़ों रुपये एकत्र किए और उसे बिजली वितरण कंपनियों को दे दिए.’’


डीईआरसी राष्ट्रीय राजधानी में बिजली उपभोग दरों को तय करने के लिए सक्षम प्राधिकार है. दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ ने आप सरकार पर ‘‘लोगों को मूर्ख’’ बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘मीटर लगाने के बाद बिजली शुल्क की निर्धारित कीमतों को बढ़ा दिया गया, जिससे गरीबों को काफी परेशानी हो रही. यह पैसा बिजली वितरण कंपनियों के पास जा रहा है.’’


यूसुफ ने कहा, ‘‘अब जब विधानसभा चुनाव आ रहे हैं तो केजरीवाल कह रहे हैं कि वह डीईआरसी से निर्धारित शुल्क में वृद्धि को वापस लेने के लिए कहेंगे.’’ एक जून को एक जनसभा में केजरीवाल ने दावा किया कि डीईआरसी ने पिछले साल ‘‘दिल्ली सरकार के परामर्श के बिना’’ बिजली टैरिफ में निर्धारित शुल्क को बढ़ा दिया था.


बिजली विभाग में एक अधिकारी ने बताया कि डीईआरसी बिजली का शुल्क तय करती है और सरकार किसी भी तरीके से उसके फैसले को प्रभावित नहीं कर सकती. इस बारे में फिलहाल सत्तारूढ़ ‘आप’ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.


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