Congress On Mohan Yadav: कांग्रेस ने सोमवार (11 दिसंबर) को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री मोहन यादव को चुनने पर बीजेपी पर कटाक्ष किया. सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के बिना बीजेपी का विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल था, लेकिन फिर भी मोहन यादव को विधायक दल का नेता चुना गया.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''कोई किसी को भी सीएम बना सकता है, लेकिन हम गौर करें तो मध्य प्रदेश में बीजेपी की हालत बड़ी नाजुक थी. मुझे लगता है कि शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में ही एमपी में बीजेपी जीत हासिल कर पाई.''
उन्होंने आगे कहा, "शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना और उनके मामा का रुत्बे का चुनाव में असर हुआ. पीएम नरेंद्र मोदी जो भी बोले, लेकिन शिवराज सिंह चौहान नहीं होते तो मध्य प्रदेश में बीजेपी का जीतना मुश्किल होता. पीएम मोदी की जीत से ज्यादा ये शिवराज सिंह चौहान की जीत है. अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये सारे समीकरण आप देख रहे हैं.''
दरअसल, मध्य प्रदेश चुनाव में राज्य की 230 सीटों में से बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं कांग्रेस 66 सीटों पर सिमटकर रह गई. इसके अलावा अन्य के खाते में एक सीट गई है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने राज्य में किसी को भी सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था.
मोहन यादव कौन हैं?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी माने जाने वाले मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से तीन बार विधायक हैं और एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं. वह पहली बार 2020 में मंत्री बने जब कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पतन के बाद बीजेपी सत्ता में वापस आई.
यादव का जन्म 25 मार्च, 1965 को उज्जैन में हुआ था. उन्होंने 1982 में माधव साइंस कॉलेज उज्जैन के संयुक्त सचिव के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 1984 में इसके अध्यक्ष के रूप में चुने गए.
यादव ने एलएलबी और एमबीए की डिग्री के अलावा डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री भी हासिल की. साल 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से विधायक चुने गए यादव ने 2011-13 तक मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटीडीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वह 2018 और फिर 2023 में इस सीट से दोबारा चुने गए.
इनपुट भाषा से भी.
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