नई दिल्लीः कांग्रेस ने आज आरोप लगाया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को यह जानकारी छिपाने के लिए बयान जारी करने को मजबूर किया गया कि नोटबंदी के समय उस को-ऑपरेटिव बैंक में पांच दिनों के भीतर करीब 746 करोड़ रुपये जमा कराए गए जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह डायरेक्टर हैं. पार्टी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री इस पूरे मामले की जांच कराएं ताकि सच्चाई सामने आ सके.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर जब कांग्रेस ने जवाब मांगा तो नाबार्ड को मजबूर किया गया कि वह आरटीआई आवेदन से सामने आए अपने ही जवाब को छिपाने के लिए बयान जारी करे.’ सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सवाल किया, ‘आखिर नाबार्ड पर किसने दबाव बनाया कि वह बयान जारी करे?’
क्या नया आरोप लगाया है कांग्रेस ने
दरअसल, एक आरटीआई के हवाले से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कल दावा किया था कि नोटबंदी के समय अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव बैंक में पांच दिनों के भीतर करीब 746 करोड़ रुपये जमा कराए गए. अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में सबसे ज़्यादा 745 करोड़ जमा कराया गया. इस बैंक के डायरेक्टर अमित शाह और उनके दो सहयोगी थे.
नाबार्ड ने दी जानकारी
कांग्रेस के इस दावे के बाद को-ऑपरेटिव बैंकों के विनियामक नाबार्ड ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘अहमदाबाद डीसीसीबी के कुल 17 लाख खातों में से महज 1.60 लाख खातों में पुराने नोट जमा किये गये या बदले गये जो सभी जमा खातों का महज 9.37 फीसदी है.’’
वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा कांग्रेस के आरोपों को खारिज किए जाने पर खेड़ा ने कहा, ‘अस्थायी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अमित शाह के बचाव का असफल कोशिश की. उनको यह पता होना चाहिए कि सच को दबाया नहीं जा सकता. अब सच सामने आ रहा है.’ इसके अलावा महाराष्ट्र के एक इंडस्ट्रियल ग्रुप से जुड़े कथित बैंकिंग घोटाले का उल्लेख करते हुए खेड़ा ने दावा किया कि इस समूह के मालिक का बीजेपी और आरएसएस से गहरा संबंध है और इसे बचाने की कोशिश की गई है.