Congress On Election Bond: कांग्रेस ने गुरुवार (13 जुलाई) को चुनावी बांड के अपारदर्शी होने का आरोप लगाया और दावा किया कि राजनीतिक चंदा हासिल करने की यह व्यवस्था सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचाने लिए लाई गई है. पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि चुनावी बांड में पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए.


पवन खेड़ा ने यह आरोप उस वक्त लगाया है जब कुछ दिनों पहले आई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश के राजनीतिक दलों को साल 2016-17 से 2021-22 के दौरान मिले कुल चंदे की आधी से अधिक राशि चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त हुई और बीजेपी को अन्य राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे से भी अधिक चंदा मिला.


बीजेपी को कितने रुपये का चंदा मिला?
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016-17 से 2021-22 के दौरान सात राष्ट्रीय दलों और 24 क्षेत्रीय पार्टियों को 16,437 करोड़ रुपये का चंदा मिला. खेड़ा ने एडीआर की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल 2016-17 से 2021-22 के दौरान बीजेपी को चुनावी बांड के माध्यम से 5,271.97 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि बाकी अन्य राष्ट्रीय दलों को सिर्फ 1,783.93 करोड़ रुपये की राशि मिली.


उन्होंने आरोप लगाया, चुनावी बांड के कारण चुनावी चंदे की व्यवस्था अपारदर्शी हो गई. इस बांड के खिलाफ चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, रिजर्व बैंक समेत सभी को आपत्तियां थी लेकिन इसे धन विधेयक के रूप में पारित कर दिया. बीजेपी ने इसके जरिये विधायक खरीदे और सरकारें गिरा दीं.


कैसे सफेद किया जाता है काला धन?
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पहले एक कंपनी अपने तीन साल के शुद्ध लाभ का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी. लेकिन बीजेपी ने यह सीमा हटा दी. उन्होंने कहा, अब किसी कंपनी को यह बताने की जरूरत नहीं कि किसको कितनी राशि दी गई. यह बहुत अपारदर्शी है. जब इतना बड़ा बेनामी धन, किसी पार्टी के खाते में आता है, तो स्पष्ट होता है कि काला धन कैसे सफेद किया जाता है.  


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