नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के राशन वितरण प्रणाली को लेकर कैग की रिपोर्ट के बाद से दिल्ली की राजनीति गर्म है. कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि स्कूटर, बाइक से कई क्विंटल अनाज की सप्लाई की गई. इसके अलावा फर्जी राशन कार्ड सहित कई गड़बड़ियों का खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है. इस मुद्दे पर जहां आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल पर आरोप लगा रही है वहीं बीजेपी केजरीवाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. कांग्रेस ने राशन की गड़बड़ियों को लेकर दोनों पार्टियों को घेरा है.
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दिल्ली सरकार के कई पुराने सर्कुलर जारी करते हुए आरोप लगाया कि राशन वितरण में भ्रष्टाचार को लेकर समय समय पर अधिकारियों ने आगाह किया लेकिन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
सर्कुलर पर सोई रही सरकार?
12 फरवरी 2015 का सर्कुलर: केजरीवाल सरकार बनने से 2 दिन पहले के इस सर्कुलर में अनाज वितरण में गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए इसकी खामियों को रोकने के लिए कई कदम उठाने की बात कही थी.
23 फरवरी 2015 का सर्कुलर: खाद्य आपूर्ति विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा जारी इस सर्कुलर में शिकायत की गई है कि फेयर प्राइस शॉप यानी सरकारी राशन की दुकान लाभार्थियों को राशन नहीं दे रहे. इसलिए सरकारी राशन दुकानों से ऐसे राशन कार्ड की डिटेल जमा करें जिन्होंने राशन नहीं लिया है.
28 जुलाई 2015 का सर्कुलर: स्पेशल कमिश्नर विजिलेंस के इस सर्कुलर के मुताबिक खाद्य आपूर्ति विभाग के सर्कल ऑफिसों में ठग सक्रिय हैं. ऐसे तत्वों को तत्काल समाप्त करने की जरूरत है.
26 अक्टूबर 2015 का सर्कुलर: खाद्य आपूर्ति विभाग के इस सर्कुकर में बताया गया है कि जानकारी आई है कि ऐसे परिवारों ने राशन कार्ड बनवा लिया है जो नियमों के मुताबिक इस योग्य नहीं है. ऐसे परिवारों को राशन कार्ड सरेंडर करवाने के लिए एक महीने का समय 14 अगस्त के नोटिस में दिया गया था. नियमों का पालन ना करने वाले परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए.
10 दिसम्बर 2015 का सर्कुकर: सतर्कता विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर के इस सर्कुलर में बताया गया है कि दूसरे राज्यों के आधार कार्ड पर दिल्ली में राशन कार्ड बनवाए जाने की शिकायत मिली है. इसमें खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है. इसलिए विभाग के कमिश्नर ने जोन के असिस्टेंट कमिश्नरों को निर्देश दिए हैं कि विशेष अभियान चला कर फर्जी नाम हटवाएं और गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. साथ ही दूसरे राज्य के आधार कार्ड से राशन कार्ड बनाने वाले आवेदनों में ज्यादा सतर्कता बरती जाए.
यानी इन सर्कुलरों से साफ है कि केजरीवाल सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी ही समय-समय पर विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर सचेत कर रहे थे. कांग्रेस का आरोप है कि अधिकारी तो भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे लेकिन केजरीवाल सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. हास्यास्पद ये है कि केजरीवाल सरकार ये सफाई दे रही है कि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए माफिया और अधिकारी जिम्मेदार हैं.
निगरानी कमिटी या नकारा कमिटी?
बात केवल विभागीय सर्कुलर तक की ही नहीं है. नियमों के मुताबिक सरकारी राशन वितरण पर निगरानी रखने के लिए विधानसभा स्तर से लेकर जिला स्तर तक कमिटी बनानी होती है. नियमों के मुताबिक इसकी बैठक हर महीने होनी चाहिए. विधानसभा स्तर पर विधायक इस कमिटी के प्रमुख होते हैं और जिला कमिटी के प्रमुख सांसद होते हैं.
इस समय दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 70 में से 66 विधायक हैं वहीं सातों सांसद बीजेपी के हैं. कैग की रिपोर्ट के बाद AAP जहां LG पर टिकरा फोड़ रही है वहीं BJP केजरीवाल सरकार को घोटालेबाज बता रही है. लेकिन कांग्रेस ने दोनों पार्टियों से पूछा है कि उनके प्रतिनिधियों ने वक्त पर अपनी ड्यूटी यानी राशन वितरण की निगरानी क्यों नहीं की?
कैग के खुलासे पर CBI जांच की मांग हर पार्टी कर रही है. खुद केजरीवाल सरकार कह रही है कि वो CBI जांच करवाएगी. लेकिन कांग्रेस ने राशन निगरानी समितियों की भी CBI जांच की मांग की है.