Poll Survey Starts In Rajasthan: राजस्थान में अगले साल दिसंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी अभी से ही अपनी चुनावी तैयारियों में जुट गई है. दो दशक से राजस्थान में एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को सत्ता मिलने की परंपरा देखने को मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस फिर से सत्ता में आने की कोशिश में जुट गई है. चुनाव से काफी पहले दोनों ही पार्टियों ने विधानसभा सर्वे कराने भी शुरू कर दिए हैं. देशभर में राजस्थान ही अब केवल एकमात्र ऐसा बड़ा राज्य है, जहां कांग्रेस पार्टी का राज है. इसलिए कांग्रेस अपने इस किले बचाये रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने में पीछे नहीं हटेगी.


दूसरी तरफ बीजेपी दो दशक से चल रहे इस मिथक के दम पर निश्चिन्त है कि अब वह राजस्थान में सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी की मेहनत को इस बात से समझा जा सकता है कि करीब साल भर से पहले ही राजस्थान के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में अलग अलग एजेंसियों के जरिये सर्वे का काम शुरू करवा दिया है. मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने इस काम के लिए तीन एजेंसियों को काम सौंपा है.

बीजेपी नेताओं की क्या है सर्वे पर राय

इस सर्वे को लेकर बीजेपी पार्टी नेताओं के अलग-अलग विचार भी हैं. कई विधायक मानते हैं कि इस तरह के सर्वे हमेशा होते रहते हैं और जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते हैं. सर्वे के नतीजे ज्यादा सटीक होने लगते हैं. राजस्थान के शिक्षा मंत्री रह चुके बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि सर्वे का काम शुरू हो चुका है और इसके जरिये ही पार्टी को विधायकों के कामकाज और जीतने वाले चेहरों की जानकारी मिल पाती है. तीन बार के बीजेपी विधायक के रामलाल शर्मा ने कहा है कि इस तरह के सर्वे से उन्हें भी कार्यकर्ताओं और जनता का फीडबैक मिलता है कि उनकी छवि अपने निर्वाचन क्षेत्र में कैसी है ?

लीडरशिप से भी जुड़े हैं सवाल

बीजेपी इस बार जो सर्वे करवा रही है, उसमें संभावित लीडरशिप को लेकर भी सवाल पूछे जा रहे हैं. हालांकि पार्टी ये तय कर चुकी है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव इस बार सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और पार्टी के कमल चिह्न पर लड़ा जाएगा. पार्टी जीत के बाद किसके सर पर ताज सजाएगी इसको लेकर अपने सर्वे में कार्यकर्ताओं और जनता से लगातार सवाल पूछ रही हैं. दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे ने पिछले कुछ दिनों से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, लेकिन कभी वसुंधरा ही बीजेपी है और बीजेपी ही वसुंधरा जैसा नारा देने वाले लोग अब मौन हैं. हवा का रुख किस ओर होगा इसका पता नहीं लगा है. इसलिए अब वसुंधरा समर्थक भी सोच समझ कर बयान दे रहे हैं. कभी वसुंधरा के लिए खुले मंच से बयान देने वाले बीजेपी नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ का ये ताजा बयान बताता है कि अब वसुंधरा की राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है.

कांग्रेस भी शुरू किया सर्वे का काम

उधर कांग्रेस ने भी राजस्थान में अपना सर्वे करवाना शुरू कर दिया है. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अभी आपसी गुटबाजी में उलझी हुई है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमों के बीच जंग जारी है. हालांकि इस जंग के थोड़ा समय अगस्त महीने में राहुल गांधी ने अपनी टीम के जरिये राजस्थान में एक सर्वे करवाया था. इस सर्वे में मुख्य रूप से 10 सवाल पूछे गए थे. इस सर्वे में सरकार के कामकाज, सरकारी स्कीम्स की वास्तविक हालत, मंत्रियों के कामकाज, विधायकों के जमीनी जुड़ाव और विधानसभा इलाकों में जीत सकने वाले उम्मीदवारों के बारे पूछा गया था. सूत्रों के मुताबिक इस सर्वे के नतीजों के आधार पर ही राजस्थान में बदलाव की योजना बनाई गई थी, लेकिन गहलोत खेमे की बगावत ने इस योजना को धराशायी कर डाला था. अब इस सर्वे को लेकर कांग्रेस के नेता बोलने से बच रहे हैं, लेकिन वे कम से कम इतना तो जानते ही हैं कि इस तरह के चुनावी सर्वे राजनीतिक लिहाज से सही होते हैं.

राजस्थान में अभी शांत है मामला
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर खींचतान अभी शांत दिख रही है, लेकिन इसी बीच पार्टी आलाकमान के यहां सभी विधायकों से फीडबैक भी लिया है. यह एक तरह का कांग्रेस का इंटरनल सर्वे ही कहा जा रहा है. राजस्थान में गहलोत और पायलट गुट के अलावा तीसरा खेमा भी है, जो इस बात का समर्थक है कि वो आलाकमान के साथ हैं. प्रदेश में अभी भी सबसे ज्यादा विधायक गहलोत खेमे में बताये जा रहे हैं. दूसरी तरफ सचिन पायलट की पैरवी करने वाले मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा अभी भी अपनी बयानबाजी को जारी रखे हुए हैं. ताजा बयान में गुढ़ा ने सचिन को राहुल और प्रियंका के बाद सबसे ज़्यादा भीड़ खींचने वाले नेता बता दिए हैं. अभी बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सर्वे के शुरूआती दौर में हैं. आने वाले दिनों में राजस्थान में पीएम मोदी समेत कई केंद्रीय नेताओं के दौरों से चुनावी माहौल जोर पकड़ने वाला है.


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