MasterStroke में जानिए कैसे सीएम उद्धव ठाकरे के लिए चुनौती बन सकती हैं सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी
उद्धव ठाकरे के अलावा शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो नेताओं ने आज मंत्री पद की शपथ ली है. उद्धव ठाकरे के पास सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है, यहां तक कि आजतक उन्होंने चुनाव भी नहीं लड़ा है.
नई दिल्ली: ठाकरे परिवार से पहली बार कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना. सीएम की कुर्सी के लिए शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता किया. अब जबकि उद्धव मुख्यमंत्री बन गए हैं तो इसी वक्त से ये सवाल भी उनके साथ परछाई की तरह चलता रहेगा कि जब तक वे सीएम रहेंगे, समझौते के भरोसे ही सरकार चला लेंगे? भले ही सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बनी हो लेकिन विचारधारा तो आड़े आएगी. क्या उद्धव ठाकरे का सीएम के तौर पर अनुभवहीन होना भी इस सरकार की राह में रोड़ा बनेगा, क्या उद्धव उन हेवीवेट मंत्रियों के साथ तालमेल बैठा पाएंगे, जिन्होंने आज शपथ ली.
शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई ने शपथ ली. एनसीपी की तरफ से जयंत पाटिल और छगन भुजबल तो कांग्रेस की तरफ से बालसाहेब थोराट और नितिन राउत ने शपथ ली. विधानसभा चुनाव से पहले ठाकरे परिवार का कोई भी सदस्य कभी विधायक नहीं रहा. लेकिन पहली बार ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे सीधे मुख्यमंत्री बनकर विधानसभा में कदम रखेंगे. माना जा रहा है कि विधायिका के कम अनुभव की वजह से उद्धव ठाकरे के लिए फैसले लेना आसान नहीं होगा. इसलिए शरद पवार ने इन 6 अनुभवी चेहरों को शुरुआत में मंत्रिमंडल में शामिल कराया है.
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उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने मंत्री पद की शपथ ली. शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता हैं. 2004 से लगातार चार बार से विधायक हैं. फडणवीस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. एकनाथ शिंदे कभी मुंबई में ऑटो चलाते थे. इसके बाद सुभाष देसाई ने शपथ ली. वे तीसरी बार शिवसेना के विधायक बने हैं. दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं. फडणवीस सरकार में उद्योग मंत्री रह चुके हैं. एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई तो उद्धव के खास हैं लेकिन एनसीपी और कांग्रेस के कोटे के मंत्री उद्धव की चुनौती हो सकते हैं. क्योंकि सरकार में इनका अनुभव उद्धव पर 21 साबित हो सकता है.
एनसीपी की तरफ से जयंत पाटिल ने आज शपथ ली. वे महाराष्ट्र एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. विधानसभा में एनसीपी विधायक दल के नेता हैं. 1990 से लगातार 29 साल से विधायक हैं. कांग्रेस और एनसीपी की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे हैं. इसके बाद छगन भुजबल ने शपथ ली. वे शरद पवार के करीबियों में से एक हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम रहे हैं. 2004 से लगातार चार बार से विधायक हैं. 1985 में मुंबई के मेयर बने. महाराष्ट्र सरकार में गृहमंत्री सहित कई विभागों के मंत्री रहे. एक वक्त पर छगन भुजबल सब्जी भी बेचा करते थे.
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जयंत पाटिल और छगन भुजबल, एनसीपी के ये दो दिग्गज सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं. इन्होंने महाराष्ट्र की सियासत को करीब से बनते-बिगड़ते देखा है. ऐसे में उद्धव की चुनौती इसलिए बढ़ सकती है कि सरकार के फैसले पर कहीं एनसीपी अपनी ब्रांडिंग न करे. जो खतरा एनसीपी से वही कांग्रेस से भी है.
बालासाहेब थोराट को भी हेवीवेट मंत्रिमंडल मिलना तय है. क्योंकि थोराट महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और महाराष्ट्र सरकार में सबसे अहम रेवेन्यू मिनिस्टर रह चुके हैं. थोराट के बाद नितिन राउत हैं. वो महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वे चौथी बार विधायक बने हैं. महाराष्ट्र कैबिनेट में कई पदों पर मंत्री रह चुके हैं. महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बनी है लेकिन विचारधारा अलग अलग है. तीनों दलों के बीच शरद पवार मजबूत कड़ी हैं. इसलिये ये कहा जा सकता है कि जिसके साथ शरद पवार महाराष्ट्र में उसकी ही असली सरकार.