नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच केजरीवाल सरकार द्वारा करवाए गए दीपावली पूजा कार्यक्रम पर करोड़ो खर्च किए जाने के मुद्दे पर घेरते हुए कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार दीपावली कार्यक्रम के प्रचार में 32 करोड़ रुपए खर्च कर दिए जबकि दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर, आईसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत है.


माकन ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर इस रकम से 600 आईसीयू बिस्तर तैयार किए जा सकते थे. केजरीवाल सरकार ने अक्षरधाम मंदिर में दीवाली पूजा का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया था जिसे विज्ञापन के तौर पर विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित किया गया था. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ पूजा की और दावा किया कि एक खास समय पर एकसाथ पूजा करने से अद्भुत तरंगे पैदा होंगी.


बहरहाल इसको लेकर केजरीवाल कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं. कांग्रेस ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ज्यादा भीड़ वाले बाजारों को बंद करने के मुख्यमंत्री केजरीवाल के सिफारिश को खतरनाक बताया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि इससे जो बाजार खुले होंगे वहां और भी ज्यादा भीड़ इकट्ठा होगी. दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष माकन ने इसकी जगह बाजारों और दफ्तरों में पूरी तरह लॉकडाउन किए जाने की वकालत की.


32 करोड़ के आंकड़े को लेकर पूछे गए सवाल पर माकन ने कहा कि यह आंकड़ा उन्हें केजरीवाल सरकार के अधिकारियों ने ही बताया है. माकन ने कहा कि भारत में कोरोना से होने वाली हर 5 मौतों में से एक दिल्ली में हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रति लाख की आबादी पर कोरोना के मामलों के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले दिल्ली में संक्रमण पांच गुना है जो कि ब्राजील, इंग्लैंड और इटली से भी ज्यादा है.


माकन ने कहा कि एनसीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में प्रति दिन कोरोना के 15 हजार मामले बढ़ने वाले हैं. इसके मद्देनजर अस्पताल में आईसीयू बेड की तैयारी आधी-अधूरी है. माकन ने कहा कि ऐसे हालात के बावजूद दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार एक-दूसरे पर जबावदेही थोप रहे हैं.


वहीं कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर के बाद सबसे संक्रमित शहर बन चुका है. कोरोना से जंग भगवान भरोसे है. बिना सोचे समझे उठाया जा रहा हर फैसला नाकाम हो रहा है. कुछ बाजारों को बंद करने की बजाय टेस्ट और कंटेन्मेंट जोन बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए. सरकार यदि समय पर कदम उठाती तो इस स्थिति से बचा जा सकता था.