नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर 'राम राग' छेड़ दिया है. नागपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सरकार को राम मंदिर के लिए कानून लेकर आना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा. राम मंदिर आंदोलन से जुड़े होने की वजह से हम कहना चाहते हैं कि राम मंदिर शीघ्रता पूर्वक बनना चाहिए.


संघ प्रमुख के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि राम नाम आरएसएस प्रमुख के मुंह से अच्छा नहीं लगता है क्योंकि ये नाथूराम (महात्मा गांधी की हत्या करने वाला) के भक्त हैं. राम भक्त नहीं हैं. नाथूराम की निंदा करें भी राम की बात करें. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इसलिए इसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है.


कांग्रेस नेता ने कहा, ''चुनाव आ गया है इसलिए राम याद आने लगे हैं. साढ़े चार साल तक नाथूराम-नाथूराम करते रहे और आज काम नहीं किया तो राम याद आने लगे.''


आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने के मुद्दे पर कहा कि कुछ तत्व नई-नई चीजें पेश कर न्यायिक प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं और फैसले में रोड़े अटका रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना वजह समाज के धैर्य की परीक्षा लेना किसी के हित में नहीं है.


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आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘राष्ट्रहित के इस मामले में स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक राजनीति करने वाली कुछ कट्टरपंथी ताकतें रोड़े अटका रही हैं. राजनीति के कारण राम मंदिर निर्माण में देरी हो रही है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था. राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता. हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.’’


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