Omar Abdullah On Delhi Ordinance: दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (AAP) को कांग्रेस के समर्थन पर जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर तंज कसा है. उन्होंने रविवार (16 जुलाई) को ट्वीट किया, ''बिल्कुल वही हुआ जो कांग्रेस अध्यक्ष ने 'आप' नेतृत्व को बताया था और प्रतिबद्धता जताई थी, जब हम पटना में मिले थे.'' उन्होंने लिखा, ''अध्यादेश के बारे में कांग्रेस अपने रुख को लेकर स्पष्ट नहीं थी.''
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस ने रविवार (16 जुलाई) को अपना रुख साफ किया. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी का रुख साफ है कि वह राज्यपालों के माध्यम से विपक्षी दलों के जरिये शासित राज्यों में हस्तक्षेप करने के केंद्र के किसी भी ऐसे कदम का विरोध करेगी.
दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर क्या कहा कांग्रेस ने?
केसी वेणुगोपाल ने कहा, ''हमने कल फैसला किया था. हम देश की संघीय व्यवस्था को नष्ट करने और राज्यपालों के जरिये राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास का समर्थन नहीं करने जा रहे हैं. हम दिल्ली अध्यादेश का समर्थन नहीं करेंगे.''
पहले भी उमर अब्दुल्ला खड़े कर चुके हैं सवाल
मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्ष के कई नेताओं से अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग चुके हैं. 'आप' की कोशिशों पर 10 जून को उमर अबदुल्ला ने सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जा रहा था तब आम आदमी पार्टी कहां थी.
उन्होंने कहा था, ''मैं बार-बार इन लोगों (आप) को याद दिलाता हूं कि जब इन्हें हमारी जरूरत पड़ती है, ये हमारे दरवाजे जरूर खटखटाते हैं. अब अरविंद केजरीवाल मुसीबत में हैं तो आज उनको हमारे सपोर्ट की जरूरत है लेकिन ये लोग कहां थे जब 2019 में (अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के समय) हमारे साथ इतना बड़ा धोखा हुआ, कौन था जो हमारे साथ खड़ा हुआ.''
क्या 'आप' की शर्त पर कांग्रेस ने दिया समर्थन?
बता दें कि कांग्रेस ने सोमवार (17 जुलाई) को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से एक दिन पहले दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने की बात कही है. कांग्रेस के इस रुख को आम आदमी पार्टी ने 'सकारात्मक' बताया है.
इससे पहले 'आप' ने शर्त रख दी थी कि वह विपक्षी दलों की बैठक में तभी शामिल होगी जब दिल्ली अध्यादेश के विरोध में कांग्रेस संसद में उसका समर्थन करेगी. जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ ('आप' को) समर्थन बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए यह पूर्व निर्धारित शर्त नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा था कि मामले पर कांग्रेस संसद सत्र से पहले फैसला लेगी.
क्या है दिल्ली अध्यादेश का मामला?
बात दें कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार मई में दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और तैनाती पर अध्यादेश लेकर आई थी जिससे सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का प्रभाव खत्म हो गया था जिसमें सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार को दिया गया था.
अध्यादेश में दानिक्स कैडर के समूह-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के तबादले और तैनाती का शासकीय नियंत्रण उपराज्यपाल के पास था.