Bharat Jodo Yatra: कश्मीर से कन्याकुमारी तक की अपनी भारत जोड़ो यात्रा में राहुल राजस्थान पहुंच चुके हैं. राहुल गांधी बीते तीन महीने में करीब ढाई हजार किलोमीटर का सफर पूरा कर चुके हैं. राहुल गांधी मोदी सरकार की नीतियों और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लगातार हमले कर रहे हैं. हालंकि इस दौरान दो राज्यों के विधानसभा चुनाव को राहुल गांधी ने अपनी प्राथमिकता से बाहर रखा.
प्रचार को लेकर राहुल की इस उदासीनता पर चुनाव के दौरान भी सवाल उठाए गए थे और एग्जिट पोल में कांग्रेस के पिछड़ने के बाद एक बार फिर वही सवाल खड़े हो गए हैं. विधानसभा चुनाव प्रचार में पीएम मोदी और दिल्ली के सीएम समेत दूसरी पार्टियों के बड़े चेहरे सभाओं और रोड शो में व्यस्त थे, तब राहुल गांधी चुनावी राज्यों से दूर पदयात्रा में अपना पसीना बहा रहे थे.
राहुल गांधी हिमाचल में प्रचार करने नहीं पहुंचे और गुजरात में केवल एक दिन दो सभाएं की. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान चुनाव प्रचार से गैर मौजूदगी को लेकर जब राहुल गांधी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया. अपनी यात्रा को राहुल तपस्या बताते रहे हैं.
राहुल की चुनाव में गैर मौजूदगी
राहुल की गैर मौजूदगी में जहां हिमाचल में प्रचार की कमान प्रियंका गांधी, सचिन पायलट, भूपेश बघेल ने संभाली हुई थी तो वहीं गुजरात में अशोक गहलोत ने. कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी हिमाचल में दो सभाएं और गुजरात में आठ सभाओं को संबोधित किया. राहुल गांधी का हिमाचल ना जाना एक रहस्य बना हुआ है.
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि हिमाचल और गुजरात चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति स्थानीय मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की थी. हिमाचल में कांग्रेस को लग रहा था कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री से लोगों की नाराजगी है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से नहीं. ऐसे में कांग्रेस ने पूरा प्रचार राज्य सरकार की नाकामी और अपने लुभावने वादों पर केंद्रित रहा और राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा पर फोकस करने दिया गया.
बड़े कांग्रेस नेताओं ने एमसीडी चुनाव प्रचार नहीं किया
गुजरात में कांग्रेस के सामने बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी की चुनौती थी. कांग्रेस को संदेश देना था कि बीजेपी के सामने वही लड़ रही है. इसके लिए राहुल गांधी से कम से कम तीन दिन मांगे गए थे लेकिन राहुल ने केवल एक दिन दिया. हालांकि चुनावों के एलान से पहले राहुल ने गुजरात में दो बड़ी सभाओं को संबोधित किया था.
एक दिलचस्प बात यह भी है कि जैसे राहुल हिमाचल नहीं गए वैसे ही प्रियंका गांधी गुजरात नहीं गईं. इन सबके बीच दिल्ली नगर निगम चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस का दमखम नजर नहीं आया. परंपरा के मुताबिक निगम चुनावों से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दूर रहता है. लेकिन शीर्ष नेताओं के अलावा अन्य बड़े कांग्रेस नेताओं ने भी एमसीडी चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया.
कांग्रेस के बड़े नेताओं कि राय
हालिया चुनाव प्रचार से राहुल की गैर मौजूदगी पर कांग्रेस कहती है कि भारत जोड़ो यात्रा की अहमियत कहीं ज्यादा है. लेकिन पार्टी के बड़े नेता भी निजी तौर पर मानते हैं कि राहुल को बीच–बीच में चुनाव प्रचार में भाग लेना चाहिए था, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता. कुछ महीनों पहले ही देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग के बावजूद राहुल गांधी दुबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हुए थे.
राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें सत्ता का मोह नहीं है. उनके लिए विचाराधारा की लड़ाई ज्यादा अहम है. वो चाहते हैं कि नए अध्यक्ष खरगे अपने तरीके से पार्टी चलाएं. कुछ जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी अब महात्मा गांधी की तरह कांग्रेस के मार्गदर्शक वाली भूमिका में बढ़ रहे हैं जिन्हें रूटीन पॉलिटिक्स और चुनावी जीत–हार से बहुत लेना देना नहीं था.
भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 2 की तैयारी
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को अगले लोकसभा चुनाव से पहले खुद को स्थापित करने की मुहिम के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 2 की तैयारी भी कर रही है जो पश्चिम भारत से पूर्वी भारत तक चलेगी. इस दौरान भी कई विधानसभा चुनाव चल रहे होंगे. देखना होगा कि तब राहुल गांधी की क्या भूमिका होती है. राहुल के मन में क्या है इसका जवाब कांग्रेस के पास नहीं है.
बहरहाल सबसे बड़ा सवाल तो यही कि फिलहाल सब कुछ छोड़ कर भारत जोड़ो पदयात्रा कर रहे राहुल गांधी इससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी की पटकथा तैयार कर पाते हैं या नहीं?