साल के अंत में होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने प्रदेश इकाई में देखते ही देखते दो बड़े बदलाव कर दिए हैं. अगड़े समाज से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह दलित समाज से राजेश राम को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. महीने भर पहले फरवरी में राहुल गांधी के करीबी कृष्णा अल्लावरु को कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने बिहार का प्रभारी नियुक्त किया था.
नए प्रदेश अध्यक्ष के जरिए कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है. पहला संदेश दलित समाज को साधने का है. कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरजेडी को सीधा संदेश दे दिया है कि सीट बंटवारे में वो घाटे का सौदा नहीं करेगी. बीते कुछ लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी कांग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर सीट बंटवारा करती रही है. कांग्रेस के नए प्रभारी रणनीति बनाने में जुटे हैं ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी पसंद की सीटों को हासिल करने में कामयाब रहे. आरजेडी से गठबंधन, सीट बंटवारे और तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार मनाने से जुड़े तमाम सवालों के जवाब में बिहार प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष राजेश राम कह रहे हैं कि सब कुछ आलाकमान तय करेगा.
अखिलेश सिंह को लेकर कांग्रेस में संशय
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस द्वारा बिहार प्रदेश अध्यक्ष बदलने के पीछे दो बड़ी वजहें हैं. बिहार कांग्रेस के कई नेता आलाकमान को शिकायत कर रहे थे कि विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर अखिलेश सिंह लालू यादव के सामने कांग्रेस के हितों से समझौता कर सकते हैं. दरअसल कांग्रेस से पहले अखिलेश सिंह आरजेडी में रह चुके थे. पहले माना जा रहा था कि लालू यादव के साथ उनके अच्छे संबंधों के जरिए कांग्रेस आरजेडी पर ज्यादा सीटें देने का दबाव बनाने की कोशिश करेगी. पार्टी आलाकमान को अब लगा कि अगर अखिलेश खुद लालू यादव के दबाव में आ गए तो फिर कांग्रेस के पास सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.
इसके अलावा अखिलेश सिंह जिस भूमिहार जाति से आते हैं उसे वो बीजेपी के पाले से तोड़ने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे. कांग्रेस ने इसलिए दलित समाज को लुभाने की कोशिश की है ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी का एक बेस वोटर तैयार हो सके.
अखिलेश सिंह के बेटे ने जाहिर की नाराजगी
नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के साथ अखिलेश सिंह सहज नहीं थे. बिहार में कांग्रेस के छात्र और युवा कार्यकर्ताओं की रोजगार के मुद्दे पर शुरू हुई पदयात्रा को लेकर अखिलेश सिंह से चर्चा नहीं हुई थी जिससे वो नाराज चल रहे थे. देखना होगा कि क्या राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह पार्टी में बने रहेंगे? अखिलेश सिंह के बेटे और बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार आकाश सिंह ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, 'जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है'.
बिहार की सियासत अपनी शर्तों पर करेगी कांग्रेस!
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पप्पू यादव को पार्टी में शामिल किया था. रोजगार पद यात्रा के जरिए कन्हैया कुमार को बिहार की सियासत में वापस लाया गया है और अब अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दी गई है. कांग्रेस का संदेश साफ है कि बिहार की सियासत वो अपने शर्तों पर करेगी. दिलचस्प यह देखना होगा कि कांग्रेस की नई टीम आरजेडी के साथ कैसे तालमेल बिठाएगी और क्या विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस-आरजेडी के बीच सब कुछ ठीक रह पाएगा?
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