कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने, सड़क पर पैदल चलते रहे मजदूर और खाली वापस लौट गई बसें
प्रवासी मजदूरों के लिए बसों के इंतजाम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हो गई. दो दिनों तक दोनों पार्टियों के बीच तकरार चलती रही लेकिन इस बीच मजदूरों की हालत के बारे में किसी ने नहीं सोचा.
नई दिल्ली: बीजेपी और कांग्रेस के बीच दो दिनों तक तकरार चलती रही और इसमें मजदूर पीसते रहे. भरतपुर, आगरा, नोएडा और गाजियाबाद के बॉर्डर पर 1000 खड़ी रहीं लेकिन मजदूर पैदल ही चलते रहे. आखिर में बसें खाली ही वापिस लौट गईं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार को कहा कि हम 1000 बसें यूपी के प्रवासी मजदूरों के लिए चलाना चाहते हैं. लेकिन योगी सरकार की तरफ से जवाब आया कि 879 बसें ही चल सकती हैं.
प्रियंका गांधी ने कहा, ''उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा बसों की सूची भेजिए लेकिन योगी सरकार की तरफ से जवाब आया कि 879 बसें ही चल सकती हैं. बाकी के रजिस्ट्रेशन में दिक्कत है.'' इसके बाद प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच पत्रों का खेल शुरू हुआ और ट्विटर तक दोनों ही तरफ़ से एक दूसरे पर आरोप लगते रहे. लेकिन किसी ने भी सड़क पर चल रहे मज़दूर के बारे में नहीं सोचा.
आखिरकार बुधवार को प्रियंका गांधी सामने आईं और कहा कि शाम 4 बजे तक अगर उत्तर प्रदेश सरकार हमें बसें चलाने की अनुमति नहीं देती हैं तो हम उन्हें वापस भेज देंगे. ऐसा ही हुआ भी. कांग्रेस की बसों को उत्तर प्रदेश में नहीं घुसने दिया गया और भरतपुर बॉर्डर से सभी बसें वापस चली गईं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के बीच यह लड़ाई दो दिन तक चली. प्रवासी मज़दूरों के लिए बसें चलानी है या नहीं, इस पर फैसला लेने में 48 घंटे लग गए. एक बड़ा सवाल ये भी है कि जितनी बसें ठीक पाई गई थीं आखिरकार उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार नेअनुमति क्यों नहीं दी?
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