Rahul Gandhi-Priyanka Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी पार्टी के लिए देशभर में लगातार जमीन तैयार कर रहे हैं. कभी वह मणिपुर जा रहे हैं तो कभी हाथरस. उन्हें कभी असम में बाढ़ पीड़ितों से मिलते हुए देखा जा रहा है तो कभी रायबरेली में मरीजों से. रायबरेली वही सीट है, जिसे राहुल ने जीती हुई वायनाड सीट को छोड़कर चुना है. राहुल गांधी रायबरेली का दो बार दौरा कर चुके हैं. यूपी में राहुल गांधी का ये तीसरा दौरा रहा है. 


अब लगता है कि यूपी में कांग्रेस को दोबारा जिंदा करने की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने उठा ली है. पहले यूपी की जिम्मेदारी प्रियंका के कंधों पर थी, लेकिन अब उन्हें वायनाड से चुनाव लड़ने का जिम्मा सौंपा गया है. मतलब एक पास है उत्तर तो दूसरे के पास है दक्षिण. कांग्रेस की भाई-बहन की जोड़ी ने बीजेपी की मुश्किल बढ़ा दी है, क्योंकि अगर प्रियंका वायनाड से जीतती हैं तो देश के दोनों छोरों से पार्टी अब बीजेपी को घेरने वाली है. आइए जानते हैं कि अब कांग्रेस का क्या प्लान है. 


यूपी में कांग्रेस को मजबूत कर रहे राहुल


दरअसल, राहुल ने हाल ही में रायबरेली का दौरा किया, जहां उन्होंने एम्स पहुंचकर मरीजों का हाल चाल लिया. उन्होंने न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में एक 10 साल की बच्ची के साथ लूडो भी खेला. राहुल के यूपी दौरे को लेकर कहा जा रहा है कि वह अब ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह इस राज्य को लेकर बेहद गंभीर हैं. राहुल के इस तरह के दौरों से पार्टी को यूपी में मजबूती मिलने वाली है. यही वजह है कि राहुल ने वायनाड को छोड़कर रायबरेली सीट को अपनी संसदीय सीट के तौर पर चुना. 


हालांकि, राहुल गांधी की असली अग्निपरीक्षा यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं. इससे ये पता चलने वाला है कि राहुल के यूपी से सांसद बनने के बाद पार्टी यहां पर कितनी मजबूत हुई है. हालांकि, कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने का काम प्रियंका गांधी ने किया है. उन्होंने रायबरेली में नौ दिन और अमेठी में सात दिन चुनाव प्रचार किया था. 


वायनाड के लिए चल रही प्लानिंग


प्रियंका अब वायनाड से चुनाव लड़ने वाली हैं और उनकी भी राजनीति में एंट्री होगी. वायनाड सीट पर जीत हासिल करने के  लिए कांग्रेस ने पूरी तरह से जी-जान लगा दी है. उम्मीद है कि यहां से कांग्रेस को आसानी से जीत मिल जाएगी. कांग्रेस के नेता लोगों से मिल रहे हैं और उन तक अपनी बातों को पहुंचा रहे हैं. प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह वायनाड के लोगों को राहुल की कमी महसूस नहीं होने देंगी. अब लोगों तक ये बात कितने अच्छे से पहुंची है, ये चुनावी नतीजे ही बताएंगे.


कांग्रेस की तिकड़ी बढ़ाएगी बीजेपी की टेंशन


प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वाली हैं. कांग्रेस को 15 साल बाद पहली बार लगा है कि यूपी में उसकी स्थिति सुधर सकती है. वायनाड से अगर प्रियंका को जीत मिलती है तो फिर लोकसभा में उत्तर और दक्षिण के राज्यों से गांधी परिवार के सदस्य देखने को मिलेंगे. सोनिया गांधी पहले से ही राज्यसभा में हैं. उत्तर से राहुल गांधी, दक्षिण से प्रियंका गांधी और पश्चिम से सोनिया गांधी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाई दे सकते हैं. 


यहां अब सवाल उठता है कि क्या भाई-बहनों की जोड़ी संसद में कांग्रेस का गठजोड़ मजबूत करते हुए नजर आएंगे या नहीं. 17 जून को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया था कि रायबरेली सीट राहुल गांधी अपने पास रखने वाले हैं, जबकि वायनाड से प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में होंगी. वायनाड चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि क्या ये जोड़ी कमाल करेगी या नहीं. 


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